कर्नाटक में कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के वाटर कूलर में जिस तरह से विकिरण युक्त पानी का मामला सामने आया है वह निश्चित ही चिंता का विषय है। देश में बहुत सारी सुरक्षा संबंधी खामियां पहले से ही मौजूद हैं और इस स्थिति में कहीं पर परमाणु विकिरण से जुड़े केन्द्रों पर इस तरह की घटना सकते में डालने वाली है। वैसे तो परमाणु विकिरण सामग्री से जुड़ी हर वस्तु पर बहुत कड़ी निगरानी रखी जाती है पर भारत में जहाँ हर एक स्तर पर बैठा व्यक्ति अपनी कीमत लेकर बिक सकता है तो कैसे इन परमाणु संयंत्रो की सुरक्षा का मामला देखा जाएगा ? यह तो सम्भव नहीं है की इन अति विशिष्ट सुरक्षा प्राप्त स्थानों में किसी बाहरी व्यक्ति ने प्रवेश कर पानी को संक्रमित करने का प्रयास किया हो फिर भी इस बात की सम्भावना पर हर तरह से विचार करना आवश्यक है कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी इन संयंत्रों में गड़बड़ी न कर सके। परमाणु ऊर्जा केन्द्रों में बहुत सारी सामग्री होती है जिससे विकिरण का खतरा होता है फिर भी कहीं न कहीं कोई चूक सारी सुरक्षा पर भारी पड़ सकती है। आज के इस युग में सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की इन केन्द्रों के आस-पास के लोगों को विकिरण का खतरा हमेशा ही बना रहता है। जिस दिन इस बात का पता चला है उस दिन ड्यूटी पर आए सभी कर्मचारियों पर कड़ी नज़र रखी जानी चाहिए तभी जाकर इस षड्यंत्र का पता चल पायेगा। साथ ही ऐसे स्थानों पर काम करने वाले सभी लोगों को यह भी देखना होगा की उनके आस-पास का ही कोई व्यक्ति संदिग्ध हरकतें तो नहीं कर रहा है। आशा है कि भविष्य में इन सभी बातों पर ध्यान दिया जाएगा।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आपका कहना सही है ..... इन सब के लिए एक स्टॅंडर्ड प्रोसीजर बना कर उसको ज़ीरो टॉलरेंसे पर लागू करना चाहिए .....
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