दिल्ली में बच्चो को नर्सरी में दाखिल किये जाने की आयु ४ वर्ष किये जाने पर सहमति बनती दिखाई दे रही है. मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बात पर हुई बात-चीत को सकारात्मक बताया और साथ ही यह भी कहा की इसके लिए उनके आस कोई अधिकार नहीं हैं पर वे दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से बात कर इसे लागू करवाने के लिए भी प्रयास करेंगें. अभी बच्चों की प्रवेश आयु ३ वर्ष है जिससे बच्चों और उनके अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है और बच्चों की क्षमता प्रभावित हो रही है. आज प्रतिस्पर्धा के युग में बच्चों को अच्छे विद्यालय में प्रवेश मिलना ही कठिन होता जा रहा है और विद्यालयों के पास भी जगह की समस्या है.
सिब्बल ने जिस तरह से नर्सरी और के जी को कक्षा एक से अलग करने की बात कही उस पर भी विचार किये जाने की आवश्यकता है. इस आयु में बच्चों के पास सीखने के लिए कुछ भी नहीं होता है और उन पर बेकार का दबाव बनता है. उन्होंने नर्सरी और के जी को अनौपचारिक शिक्षा के रूप में प्राथमिक शिक्षा से अलग किये जाने की भी वकालत की. आज भविष्य बनाने के लिए बच्चों पर माँ बाप के साथ समाज का भी बहुत दबाव बनता जा रहा है जिसके कारण बच्चों की क्षमता भी प्रभावित हो रही है. इस विषय पर जल्दी ही कुछ ठोस किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि बच्चों पर अधिक दबाव ठीक नहीं रहता और उनकी मानसिक क्षमता बहुत अधिक प्रभावित होती है. अभी भी समय है कि इस मामले पर गंभीरता से विचार किया जाये और पूरे देश में शिक्षा के इस आयाम पर बहुत अधिक ध्यान देकर बच्चों की क्षमता विकसित करने में उनका सहयोग किया जाये.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
काश, इसे गंभीरता से लिया जाये.
जवाब देंहटाएंयह सब अनावश्यक है.
जवाब देंहटाएंवैसे भी अधिकांश बच्चे एडमीशन के समय साढ़े तीन साल से ज्यादा के होते हैं.
और अकेले दिल्ली की बात ही क्यों? कोई भी ऐसा फैसला पूरे देश पर एक साथ लागू होना चाहिए.
शिक्षा का स्तर सुधारने के बजाय सरकार फालतू के शिगूफे छोडती रहती है.
कपिल सिब्बल शगुफे भी छोड़ रहे है और अपने को लाचार भी दिखा रहे है देश ने तुम्हे नीती निर्धारण की शक्ति दी है केवन लाल बत्ती गनर भत्ते लेने के लिए नहीं 4 साल की उम्र वाला प्रस्ताव कानून बना कर पुरे देश में लागु कराओ केवल दिल्ली का क्या मतलब है
जवाब देंहटाएंsiksha-star sudharne main mujhe lagta hai abhi hamare netaoin ke paas time nahi hai, bas aate-jaate phasle liye jaate hain jisse agle chunav main ginne ke liye sabhi prakar ke mudde ho - mujhe nahi lagta ki sibbal ki baat main ko ghambhirta hai.
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