मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

विधायक की करतूत ...

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से बसपा के विधायक निरंकुश होते जा रहे हैं वह स्थिति निश्चित तौर पर माया और बसपा के लिए सहज नहीं रहने वाली है. ताज़ा घटना में बरेली में एक मंदिर के ९५ वर्षीय पुजारी की हत्या में बसपा विधायक के खिलाफ सीधे तौर पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सारी घटनाओं के विश्लेषण करने की आवश्यकता है यहाँ पर किसी दल या व्यक्ति के स्थान पर पूरे तंत्र की समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है. आज के समय में चंद प्रशासनिक अधिकारी नियमों को तक पर रखकर नेताओं की चरण वंदना में ही सदैव लिप्त रहने लगे हैं. जब विधायक सांसद ही उनके आका बन बैठे हैं तो आम जनता की कौन सुनेगा ? हम सभी जानते हैं कि आज के समय में हर एक माननीय के पास किस तरह के लोग होते हैं  ? वे केवल सत्ता के साथ की हनक के कारण ही हमेशा सत्ता के लोगों के साथ रहते हैं. आज मूल्यों और विचारधारा का कोई मतलब ही नहीं रह गया है. सभी के विचारों में केवल पैसों की अनवरत धारा ही बहती रहती है.
यहाँ पर किसी दल को इंगित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सत्ता सभी को एक जैसा कर देती है अच्छे अच्छे लोग सत्ता के चरित्र को आसानी से अपना लेते हैं. अभी जल्दी में ही सीतापुर के बैजनाथ पुरवा में भी एक ऐसा ही किस्सा हो चुका है जिसमें न्याय के लिए कुछ लोग लखनऊ तक की पद यात्रा भी कर रहे हैं. अच्छा हो कि  पहली बार माननीय बने लोगों को किसी मनोचिकित्सक के साथ भी कुछ समय तक रखना चाहिए क्योंकि यहाँ पर मामला केवल विधान सभा या संसद में आचरण तक ही सीमित नहीं रह गया है. आज आवश्यकता है कि दबाव में जीते हुए इन लोगों के लिए भी सरकार या स्वयं सचिवालय ही अच्छी सलाह मुहैया कराये जिससे समय पड़ने पर ये लोग भी उसका लाभ उठा सकें. सही है कि ये नेता भी हमारे जैसे मनुष्य ही हैं तो इनको भी मानसिक रूप से परेशान होने पर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह दिलवाने में क्या बुराई है ? पर क्या कोई इस बात को इस तरह से देख पायेगा ? सही दशा के लिए सभी को सही दिशा में सोचने की आवश्यकता है.... इन सारे कामों से जहाँ इन  लोगो पर पड़ने वाले दबाव से निपटने में इन्हें सहायता मिलेगी और वे तरो-ताज़ा होकर अपने काम को आसानी से कर सकेंगें.  



मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

4 टिप्‍पणियां:

  1. राजनीतिक हस्तक्षेप ने कार्यपालिका की कमर तोड़ कर रख दी है

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  2. आज मूल्यों और विचारधारा का कोई मतलब ही नहीं रह गया है

    -बिल्कुल सही कहा!

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  3. कहते हैं न कि कुत्त राज बिठालिये फिर चक्के चटे ये पंजाबी की कहावत सभी ऐसे नेताओं पर फिट बैठती है। धन्यवाद्

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  4. उपर कुत्त को कुत्ता पढा जाये और चटे को चट्टे।

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