मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

तेंदुए की हत्या ...

              दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में ग्रामीणों ने गाँव में घुस आये एक तेंदुए की पीट पीट कर हत्या कर दी. वन्य जीव संरक्षण से जुड़े सभी लोगों के लिए यह खबर बहुत कष्ट देने वाली है पर क्या कारण है कि ये जंगली जीव मानव के इतने पास तक आये जा रहे हैं ? यह घटना कर्तनिया घाट संरक्षित वन क्षेत्र के सेमरी गाँव की है. इधर कुछ समय से प्रदेश के कई जिले इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं पिछले वर्ष भी करीब दो महीने तक एक बाघ ने नागरिकों और वन कर्मियों को छकाये रखा था.
               आज की सबसे बड़ी समस्या जंगलों का समाप्त होना ही है जिसके कारण इन जीवों के लिए स्थान सीमित होता चला जा रहा है. इसके अतिरिक्त आज तक इन संरक्षित क्षेत्रों के लिए सरकारें कोई सटीक कार्य योजना भी नहीं बना पाई हैं जिसके चलते ही मानव- जीव में टकराव इस हद तक बढ़ गया है. हर स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार ने इन जीवों पर भी संकट ला दिया है. वन कर्मियों की सांठ-गाँठ के चलते लोग इन क्षेत्रों के समीप ही रहना शुरू कर देते हैं और फिर जंगल में खाने के अभाव में इन जीवों का इन समीपवर्ती गाँवों में आना जाना बढ़ जाता है. इस प्रकार से देखा जाये तो हम मानव ही उन जीवों को शांति से नहीं रहने दे रहे हैं. कोई भी जीव अपने पर संकट आये बिना किसी दूसरे पर हमला नहीं करता पर मानव अपने विकसित मस्तिष्क के बूते अपनी सीमा लांघ कर पूरे जैविक तंत्र पर प्रभाव डाल रहा है.
            आज जैसे बहुत सारी प्रजातियों के बारे में हम केवल पढ़ते और सुनते हैं तो लगता है कि हमारी आने वाली पीढियां भी ज़्यादातर वन्य जंतुओं और जीवों के बारे में केवल पढ़ ही पायेंगें क्योंकि हम उनको यह विरासत सौपने के पहले ही ख़त्म कर देने पर तुले हुए है.    
 


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