डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख पर लगने वाले आरोपों को लेकर एक बार फिर से पंजाब में आग भड़काने की तैयारी कर ली गयी लगती है. देश का कानून सबसे महत्त्वपूर्ण है और यदि किसी पर कोई आरोप लगाये जा रहे हैं तो उन्हें सच्चा या झूठा साबित होने तक सभी को शांति का साथ देना चाहिए. कोई दोषी है या नहीं इस बात का फैसला सड़कों पर नहीं किया जा सकता है ? अगर कोई आरोप लग रहा है तो उसका सही जवाब देना चाहिए न कि पूरी तरह से अपना संतुलन छोड़ कर दूसरों को सताना शुरू किया जाना चाहिए ?
हो सकता है कि ये आरोप निराधार हों पर सड़क पर चलने वाले आम लोगों का जीना दूभर कर देना किस तरह से उचित कहा जा सकता है ? होली की छुट्टियों के कारण जो लोग अपने घरों की तरफ जाने की तैयारी में थे उनके लिए यह सब बहुत मुश्किल हो जाता है जब अचानक ही किसी आन्दोलन के कारण बसें ठप हो जाती हैं और सड़क- रेल परिवहन रुकने लगता है. अच्छा हो कि इस तरह के विरोध के स्थान पर अहिंसक तरीके से अपनी बात को कहा जाये और गलत तरीके से लगाये गए आरोपों का प्रतिकार किया जाये. इस तरह के आन्दोलनों से कभी भी किसी का भी भला नहीं होता वरन किसी बच्चे की परीक्षा छुट जाती है तो कोई रोगी इलाज के अभाव में दम तोड़ देता है ?
देश को इस मानसिकता से अब ऊपर आना ही होगा कि कुछ भी हो सड़कों पर अराजकता फैला दी जाये... अब समय आ गया है कि हमें कुछ सभी तरीके से पेश आना चाहिए तभी हम कुछ सही माहौल बना पाने में सफल हो सकेंगें. कुछ लोग क्यों कभी भी देश के किसी भी हिस्से में जिंदगी को अचानक ही रोक दिया करते हैं ? आइये हम सभी सड़कों पर अराजकता के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराये और देश को रहने लायक बनाये.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें