मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 10 मार्च 2010

२६/११ में पाक तो था ही !

२६/११ के मुंबई हमले में पाक की संलिप्तता तो पहले से ही जग जाहिर है पर अब अभियोजन पक्ष ने जो नए सुबूत जोड़े हैं उनसे यह बात सामने आ रही है कि इस सारे मामले में पाक सेना की पूरी भागीदारी भी थी क्योंकि जिस तैयारी के साथ यह हमला किया गया था उसमें एक पूरे सैन्य प्रशिक्षण की गंध तो आती ही है. पाक चाहे जो भी कहे पर उसकी नियति में हमेशा से ही भारत के प्रति ख़राब रही है. आज भी उसे केवल हैदराबाद, जूनागढ़, कश्मीर ही दिखाई पड़ते हैं जबकि इन राज्यों की जनता पाक से हज़ार दर्जे बेहतर जिंदगी जी रही है. पाक में कोई एक शहर भी इतना सुरक्षित नहीं है जितना पूरा भारत.
          इस सारे मसले पर भारत सरकार को एक बात पर पूरा ध्यान देना होगा की केवल दुनिया को दिखाने के लिए वार्ता न की जाती रहे, हालाँकि मनमोहन सिंह इस बात को कह चुके हैं कि देश किसी मसले पर झुक कर बात नहीं करने जा रहा है पहले हमारे वांछित हमें सौंपे जाये उसके बाद ही आगे के क़दमों पर बढ़ा जाये. भारत विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाकर कैसे वार्ता की उम्मीद की जा सकती है ?
         यह बहुत अच्छा है कि सरकारी अभियोजन पक्ष के पास उज्जवल निकम जैसे कर्मठ लोग भी हैं जो किसी भी स्थिति में बिना दबाव के अपना काम करते रहते हैं. यह सही है कि केवल निकम जैसे लोग ही सारा कुछ नहीं कर सकते पूरे तंत्र को पूरी ताकत के साथ आगे आना होगा. सारी दुनिया जानती है कि मुंबई में क्या हुआ था और यदि कसाब जिंदा न पकड़ा गया होता तो पाक इस मसले में अपना हाथ होने से साफ मुकर जाता. पाक सेना की मंशा शुरू से ही ख़राब रही है और वे भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने में बहुत आगे तक चले जाते हैं. आज भी पाक के लोग पूरी वास्तविकता से अवगत नहीं हैं क्योंकि उन्हें वही बताया जाता है जो सरकार चाहती है. कुछ माध्यमों के द्वारा लोगों तक जानकारी तो पहुँच रही है पर उसे पूरा नहीं कहा जा सकता.
       यह अच्छा ही है कि पाक सेना की कारगुजारी भी इस मामले में उजागर होने जा रही है, वैसे तो विश्व भर की  सेनाएं अपनी उपलब्धियों पर गर्व करती हैं पर शायद पाक की सेना ही दुनिया में इकलौती सेना होगी जो कारगिल युद्ध के समय अपने सैनिकों को पहचानने से भी इंकार कर चुकी है ?   

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. ये बिलकुल सही बात है के केवल दुनिया को दिखाने के लिए ही कार्यवाही ना हो,

    उसका कुछ ठोस जवाब भी दिया ही जाना चाहिए!

    कुंवर जी,

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