यौन अपराधों से जुडी धाराओं में सरकार ने व्यापक बदलाव की तैयारी कर ली है इससे सम्बंधित एक संशोधन विधेयक को कल लोकसभा में प्रस्तुत किया गया. इन सुधारों के मुताबिक अब बलात्कार शब्द की जगह यौन उत्पीड़न का प्रयोग किया जायेगा. इस विधेयक में पुरुषों के खिलाफ होने वाली घटनाओं पर भी ध्यान दिया गया है और अब सभी पर एक सामान धाराएं लगायी जा सकेंगीं और समलैंगिकों के खिलाफ भी धाराएँ लगाने का रास्ता साफ़ हो सकेगा. अभी तक देश के कानून में समलैंगिक अपराधों के लिए कोई ठोस उपाय नहीं था. इस तरह के मामलों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष ही अपराध की श्रेणी से बाहर निकल दिया था. अब समलैंगिकों को भी इस तरह के अपराधों के खिलाफ एक कानून मिल जायेगा.
यह सही है कि १५० वर्षों से भी अधिक पुरानी आई पी सी में व्यापक संशोधन की आवश्यकता है पर अभी तक कुछ छोटे मोटे संशोधनों के आलावा कोई बहुत ठोस प्रयास इन विसंगतियों को दूर करने के लिए नहीं किये गए हैं. आशा है कि पूरी आई पी सी की समीक्षा जल्दी ही की जाएगी क्योंकि आज के समय के अनुसार इसमें व्यापक सुधारों की ज़रुरत है. देश में कानूनों की कोई कमी नहीं है पर उन पर सख्ती के साथ अमल नहीं किया जाता है जिससे समस्याएं बढ़ती चली जाती हैं. अब समय है कि देश में कानूनों पर रोक लगायी जाये और जो कानून पहले से बने हुए हैं उनके अनुपालन की व्यवस्था भी की जाये. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाये कि इन कानूनों का जिस तरह से पुलिस के साथ मिलकर अभी तक दुरूपयोग किया जाता रहा है उसे भी रोकने की कोई व्यवस्था की जानी चाहिए. कानून जनता को सहारा देने के लिए होने चाहिए न कि जनता को सजा देने के लिए. सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात कि अपनी सभ्यता संस्कृति पर चलते रहा जाये जिससे इस तरह के अपराध ख़ुद ही बहुत कम हो जायेंगें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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