मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 27 मार्च 2010

तालिबान और भारत....

एक पत्रिका को दिए गए एक साक्षात्कार में तालिबान के एक प्रवक्ता ने भारत के साथ सुलह होने की बात कही है, पर साथ ही भारत के लोगों को काबुल में हमले कर मारने को जायज़ भी बताया है. क्या कारण है  कि तालिबान के सुर भारत के लिए बदले से नज़र आने लगे हैं ? सभी जानते हैं की भारत की जो भूमिका अफगानिस्तान में है वह दुनिया के किसी भी देश से बहुत अलग और अधिकतर मानवीय आधार पर ही है. यही कारण है कि अफगान लोगों के दिल में आज भी भारत के साथ दिलों का रिश्ता है. यह सब तब है जब भारत अपनी पूरी ताकत के साथ वहां पर योजनाएं लागू नहीं कर पा रहा है क्योंकि पाक के द्वारा इसमें अड़ंगे लगाये जा रहे हैं. तालिबान के जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक तरफ भारत की भूमिका को अलग बताया और कहा की हमारे भारत से सदियों पुराने रिश्ते हैं और तालिबान की सरकार बनने पर भारत के साथ संबंधों में सुधार हो सकता है.
                    सवाल यह है कि अचानक तालिबान का हृदय परिवर्तन कैसे हो गया ? क्या उन्हें अब यह समझ में आने लगा है कि भारत जो कुछ कह रहा है वही कर भी रहा है जबकि बाकी सारे देश कह कुछ रहे हैं और अफगानिस्तान में अपने हित साधने के लिए कर कुछ और रहे हैं. जिस तरह से कुछ देशों ने अच्छे और बुरे तालिबान की व्याख्या करनी शुरू की है उससे तालिबान को भी लगने लगा है कि ऐसी किसी भी परिस्थिति में हो सकता है कि भारत के पास निष्पक्ष होने के कारण कोई बड़ी भूमिका आ जाये इसलिए वे भारत की तारीफ भी आलोचना के साथ कर रहे हैं जिससे उनके लड़ाकों का मनोबल भी न टूटे और उनका उल्लू भी सीधा हो जाये. सभी जानते हैं कि आतंकियों से भी निपटने में भारत का रिकार्ड दुनिया के देशों में बहुत अच्छा है, मानवीय आधार पर जाने कितनी बार सेना को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा जबकि अन्य देशों की तरह एक तरफ़ा कार्यवाही में काम कम नुकसान में भी किया जा सकता था. कश्मीर में जितने बड़े पैमाने पर आतंकियों से लोहा लिया गया उसमें बहुत कम ही मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ. आज इराक और अफगानिस्तान में बाकी देश किस तरह से ड्रोन हमलों में आतंकियों के साथ निर्दोषों को भी मार रहे हैं यह किसी से भी छिपा नहीं है ?
फिलहाल भारत सरकार को इस मामले में कुछ भी बोलने की ज़रुरत नहीं है यह दूर की कौड़ी है कि जब तालिबान सत्ता में होंगें तब ऐसा होगा ? अगर वे भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहेंगें तो स्वागत है पर उन्हें पहले कंधार कांड पर हमारे अभियुक्त वापस लौटाने होंगें तब उनसे कोई सार्थक बात हो पायेगी फिलहाल मुंगेरी लालों को सपने देखने से कोई रोक भी तो नहीं सकता है ? 





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