जिस तरह से नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा में केंद्रीय पुलिस बल पर घात लगाकर सुनियोजित हमला किया उससे एक बात साफ़ हो गयी कि अब समय आ गया है कि इन नक्सलियों के खिलाफ बहुत सख्ती से अभियान चलाया जाये. अभी तक जो भी बात चीत के द्वार खुले थे उन्हें कुछ समय तक बंद करके पहले इनका सफाया किया जाना चाहिए. अब इस घटना में किसी न किसी स्तर पर चूक तो हुई है फिर भी किसी दूर दराज़ के क्षेत्र में इस तरह के अभियानों में लगे बलों के लिए यह हमेशा से ही खतरे का कारण रहते हैं. पुलिस को लगता है कि झूठी सूचना देकर अपने जाल में फसाने का प्रयास किया गया और दुर्भाग्य से पुलिस ने उस बात पर भरोसा कर लिया. नक्सलियों ने बल पर जिस तरह से घात लगाकर हमला किया उससे एक बात पता चलती है कि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि सुरक्षा बल किस तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगें बस यही बात बलों के विरुद्ध चली गयी. हमले की सूचना पर जाने वाले सहयोगी दल पर भी और उसके बाद तीसरे दल पर हमला यह बताता है कि नक्सलियों को पूरी जानकारी थी. अब किसी न किसी स्तर पर बलों से चूक तो हो ही गयी जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है. इस तरह के दुर्गम स्थानों पर लड़ाई लड़ने का नक्सलियों को पुराना अनुभव है साथ ही वे इन स्थानों से पूरी तरह परिचित भी होते हैं जबकि सुरक्षा बलों के लिए यह स्थान नया होता है और उनको बच निकलने के रास्ते का भी पता नहीं होता है.
सेना के आतंकियों के विरुद्ध चलाये जाने वाले अभियानों से इन सुरक्षा बलों को पूरी तरह से अवगत करना चाहिए क्योंकि किसी भी अनुभव से कहीं न कहीं पर बहुत लाभ मिलता है और एक रणनीतिक सफलता या असफलता पूरे अभियान पर असर डालती है. यह सामान्य लड़ाई नहीं बल्कि छिपकर लड़ने वाले शत्रु से प्रत्यक्ष लड़ाई है जिसमें शत्रु हमें देख सकता है पर हम शत्रु को नहीं पहचान पाते हैं. अभियान में और मुस्तैदी लानी चाहिए और किसी भी बड़े अभियान पर अमल करने से पहले उसकी योजना बनाने में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए. आज नक्सलियों के खिलाफ पूरी तरह से अभियान चलाने की आवश्यकता है इसमें किसी भी तरह की ढिलाई नहीं करनी चाहिए तभी इन शहीदों प्रति हम सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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