मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

चिदंबरम की पहल

देश के गृह मंत्री के रूप में पी चिदंबरम ने जिस तरह से लालगढ़ में जाकर केंद्र सरकार के शासन की धमक को माओवादियों के गढ़ तक पहुँचाया वह अपने आप में बहुत बड़ा सन्देश है. वैसे तो इस तरह की सभी बातें केवल मीटिंग में ही की जाती हैं पर वास्तविक धरातल पर उतरते समय ही सारी बातें ख़त्म सी लगने लगती हैं. बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेब ने जिस तरह से केंद्र और चिदम्बरम पर निशाना साधा उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. ख़ुद राज्य सरकार के तंत्र का कोई भी व्यक्ति कभी वहां नहीं गया और तो और पिछले वर्ष पुलिस भी वहां के थाने में ताला डालकर भाग खड़ी हुई. ऐसे समय चिदंबरम भले ही कितनी सुरक्षा में वहां गए हों पर एक तरह से वे वहां की जनता को यह सन्देश देने में सफल हुए हैं कि इस देश में अभी भी सरकारें मौजूद हैं. वहां की जनता के सामने माओवादियों की बातें मानने के आलावा और कोई चारा भी तो नहीं बचा हुआ है जब राज्य सरकार ने खुद ही वहां से अपना बोरिया बिस्तर बाँध लिया है.
आज केंद्र की इस नीति का सभी राज्यों को समर्थन करना चाहिए क्योंकि जब तक राज्य सरकारें मिल जुल कर काम नहीं करेंगें ये नक्सली किसी न किसी राज्य में पनाह पाते रहेंगें. किसी भी राज्य के खुश होने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि आज वे कहीं और हैं और वहां पर सख्ती होने पर वे पड़ोसी राज्य में भाग कर वहां पर भी कानून के लिए समस्या ही बनने वाले हैं. आज जब केंद्र सरकार अपने सभी संसाधनों को इन विद्रोहियों के खिलाफ झोंक रही है तो राज्यों को अभी अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इन्हें उखाड़ फेंकना चाहिए. केंद्र सरकार ने यह भी साफ़ कर दिया है कि इन लोगों के खिलाफ सेना का प्रयोग नहीं किया जायेगा उससे लगता है कि केंद्र सरकार सख्ती के साथ इन विद्रोहियों के साथ बात भी करना चाहती है साथ ही उसे राज्य की पुलिस पर पूरा भरोसा भी है.   

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. तो राज्यों को अभी अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इन्हें उखाड़ फेंकना चाहिए.
    YAHI SAHI HOGA

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