कनाडा के प्रधानमंत्री हार्पर स्टीफन के साथ बात चीत करते समय मनमोहन सिंह कुछ समय के लिए बहुत भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि वे २३ जून को कनिष्क विमान हादसे की २५ वीं बरसी पर टोरंटो जा सकते हैं. नि:संदेह ऐसे किसी भी प्रयास से उस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को बहुत शांति मिलेगी. मानवीय आधार पर यह बात मनमोहन ने उस समय कही जब उनके और हार्पर के बीच आतंकवाद पर चर्चा हो रही थी. हार्पर ने यह भी कहा की उन्हें इधर जल्दी में ही कुछ खुफिया सूत्रों से पता चला है कि कनाडा में सिख अलगाववादी फिर से संगठित होने का प्रयास करने में लगे हुए हैं पर कनाडा सरकार की हर ऐसी संदिग्ध गतिविधि पर नज़र टिकी हुई है. सिख आतंकवाद ने एक समय में भारत समेत इंग्लैंड आदि देशों में बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी थी ऐसे में आज अगर उनके फिर से सर उठाने की बात पता चल रही है तो उनको पूरी ताकत से दबा देना ही ठीक रहेगा.
मनमोहन सिंह ने जिस तरह से इस दुखद घटना में मारे गए लोगों के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई है वह आम तौर पर नेताओं में बहुत कम ही दिखाई देती है. हम सभी यह भी जानते हैं कि मनमोहन नेता कम एक इन्सान अधिक हैं और उनके इस कदम ने उनकी लोगों की भावनाओं को समझने की दृष्टि को भी सामने ला दिया है. यह ठीक है कि उनके इस कदम से कोई वापस नहीं आने जा रहा है पर मृतकों के सम्मान में भारतीय प्रधानमंत्री का वहां पर होना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात होगी. इससे दुनिया में यह भी सन्देश जायेगा कि भारत हर तरह के आतंक के खिलाफ है और आतंक के शिकार लोगों के परिजनों के साथ वह हमेशा ही खड़ा रहेगा.
कुल मिलकर प्रधानमंत्री की तरफ से कहा गया यह वक्तव्य अपने आप में ही बहुत महत्वपूर्ण है इस तरह के मानवीय कदम सद्भाव बढ़ाने और आतंक के बढ़ते हुए दानव से निपटने में जनता को जागरूक करने में बहुत सहायक सिद्ध होने वाले हैं.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
भाई, यह दो मूही निति है...सब कनिष्क विमान के आरोपी ऐश कर रहे हैं..१९८५ से २५ बरस गुजर गये...हार्पर क्या और मनमोहन सिंह क्या...खाक राहत पहुँचा पायेंगे उन परिवारों को जिन पर गुजरी है जब आज तक किसी को सजा नहीं हुई इतने बड़े हादसे में.
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