मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 25 अप्रैल 2010

इराक़ पहुँचा जयपुर फुट



    चित्र साभार- बी बी सी हिंदी
हिंसा और अलगाव की आँधी से जूझते हुए इराक़ के लिए जयपुर फुट ने एक महीने में लगभग ८५० लोगों राहत दे दी जिसके कारण अब ये सभी लोग अपने आप चलने फिरने में सक्षम हो गए हैं. जयपुर की भगवान महावीर विकलांग सेवा समिति ने बगदाद में एक विशेष कैंप लगाकर उन लोगों की जिंदगी आसान कर दी जो हिंसा के कारण अपने अंग खो चुके थे. समिति के अनुसार अभी भी वहां पर ५० हज़ार लोगों को इस तरह की सहायता की आवश्यकता है इस समय कोई भी संस्था वहां पर विकलांगों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है. इस समिति के लोगों ने जिस तरह से बम विस्फोटों के बीच भी बगदाद में डटे रहकर अपना काम किया उससे भारत की छवि को बहुत बल मिला है. यह सही है कि भारत सरकार अपने स्तर से इराक़ में भी पुनर्निर्माण का काम कर रही है पर इस तरह के मानवीय सहयोग की वहां पर बहुत आवश्यकता है. कुछ ऐसा किया जाना चाहिए जिससे वहां पर जिन लोगों को इन कृत्रिम अंगों की आवश्यकता है उसको पूरा करने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किये जाएँ. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जयपुर फुट दुनिया भर में विकलांगों को चलाने के लिए सबसे सस्ता और लचीला है इसका सफल प्रयोग बहुत सारे लोगों पर किया जा चुका है. हिंसा ग्रस्त श्रीलंका में भी इसने अपनी उपयोगिता साबित की थी. आज के समय में आवश्यकता है कि इराक़ और अफगानिस्तान में भी लोगों के बीच वहां की सरकारों के माध्यम से सर्वे कराया जाये और जिन लोगों को आवश्यकता है उन्हें यह उपलब्ध कराये जाएँ तथा साथ ही वहां पर इनकी बड़ी आवश्यकता को देखते हुए स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित किया जाये जिससे वे अपने लोगों की मदद कर सकें.
आज के समय में इन युद्ध ग्रस्त देशों में बहुत समस्याएं हैं फिर भी कोई किसी भी तरह से इस स्तर पर मदद देने के लिए तैयार नहीं दिखता है ? क्यों ? क्योंकि इन लाचार हुए लोगों से अमीर देशों का कोई फायदा नहीं होने वाला है ? अगर ये चलने भी लगें तो किसी बड़े देश की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पायेंगें ? आज के समय संयुक्त राष्ट्र आदि संस्थाएं भी अपने दान दाता देशों की मंशा के अनुसार ही सहायता राशि घोषित करती हैं तो आख़िर इन बिना बात के युद्धों में हता-हत हुए लोगों की कौन सुनेगा ? भारत से सदैव ही मानवता की अलख जगी है और इस बार भी भारत सरकार को इस मामले में अपने प्रयास करने चाहिए और जो भी खर्चे हों उन पर आयकर आदि में छूट देकर बड़े औद्योगिक घरानों को इस काम को प्रायोजित करने के लिए प्रोत्साहित करें. आई पी एल जैसी संस्था चाहे तो पूरे के पूरे इराक़ के लोगों को यह दे सकती है मेरे विचार से अब बी सी सी आई को अपने पाप कम करने के लिए कुछ अच्छा कर ही लेना चाहिए ? यदि कुछ नहीं हो सकता है तो देश की आम जनता अपने पैसों से सरकार को यह काम करने की पूरी छूट दे सकती है पर वास्तव में ज़रूरतमंदों की मदद होनी चाहिए. भारत की छवि हमेशा से ही मित्र और सहयोगी की रही है इसे और सुधारने के लिए और अपनी बात को साबित करने के लिए इस समय हमें कुछ तो करना ही होगा.   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. ब्लौगर बंधु, हिंदी में हजारों ब्लौग बन चुके हैं और एग्रीगेटरों द्वारा रोज़ सैकड़ों पोस्टें दिखाई जा रही हैं. लेकिन इनमें से कितनी पोस्टें वाकई पढने लायक हैं?
    हिंदीब्लौगजगत हिंदी के अच्छे ब्लौगों की उत्तम प्रविष्टियों को एक स्थान पर बिना किसी पसंद-नापसंद के संकलित करने का एक मानवीय प्रयास है.
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    कृपया हिंदीब्लौगजगत को एक बार ज़रूर देखें : http://hindiblogjagat.blogspot.com/

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