जैसा कि सभी को पहले से ही पता था कि २६/११ हमलों का मुख्य आरोपी अजमल कसाब किसी भी तरह से सज़ा से नहीं बच सकता है आज उसकी पुष्टि हो ही गयी. जिस तरह से उसे खुलेआम हथियार लेकर लोगों कि हत्या करते हुए फुटेज सुबूत के तौर पर थे और अन्य बहुत सारे गवाहों ने उसे अंधा धुंध गोलियां चलाते हुए देखने के बाद अपनी गवाहियाँ दी थीं तो उसके बाद उसके बच निकलने का सवाल ही नहीं था. पर इस तरह के मामलों में जहाँ अभियोजन पक्ष बहुत जल्दी अपना पक्ष नहीं रख पाता है वहीं कई बार सुबूतों के अभाव में न्यायाधीश भी फैसला नहीं कर पाते हैं. इस बार जिस तरह से कोर्ट और पुलिस ने अपना काम किया उससे यही लगता है कि अगर चाह लिया जाये तो कोई भी काम आसानी से किया जा सकता है. कसाब के खिलाफ जिस तरह का माहौल पूरे देश में बना हुआ है उस परिस्थिति में उसके साथ किसी प्रकार की नरमी की उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए थी. यह पूरा मामला देश पर हमला था और इस तरह के मामलों में किसी भी दशा में देश की प्रतिष्ठा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है.
देश कि न्यायपालिका तो अपना काम पूरा कर देती है पर अंत में जब मामला विधायिका के पास चला जाता है तो नेता लोग किसी भी फैसले को लेने से पहले राजनैतिक गुणा भाग करने लगते हैं. देश की प्रतिष्ठा से बड़ा कोई भी मामला नहीं होना चाहिए फिर आज भी तक अफज़ल गुरु और अन्य कई लोगों के मृत्युदंड के फैसले को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. समस्या यहाँ पर आती है कि किसी को अपराधी ना मानकर उसे धर्म विशेष का मान लिया जाता है. जब इस देश की संसद पर हमला करने के आरोपी को आज तक इसी देश की संसद बचाए हुए है तो आने वाले किसी समय में इस बात की क्या गारंटी दी जा सकती है कि कसाब जैसों को भी सजा मिलने पर उसे पूरा किया जा सकेगा ? नेताओं के सारे काम अपने लिए होते हैं संसद हमले पर केवल सुरक्षा कर्मी ही शहीद हुए थे और उनकी चौकसी के कारण ही ये नेता बच सके थे पर आज जब उनके परिवार वालों को यह बात सालती है कि क्यों नहीं दोषियों को फँसी दी जा रही तो सरकार उनकी किसी बात का जवाब नहीं दे पाती है. अच्छा हो कि इस तरह के मामलों में नेतागिरी बंद कर देश हित के बारे में सोचा जाये तभी देश के ख़िलाफ़ कुछ भी करने वालों के मन में डर बैठेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आज भी तक अफज़ल गुरु और अन्य कई लोगों के मृत्युदंड के फैसले को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है. समस्या यहाँ पर आती है कि किसी को अपराधी ना मानकर उसे धर्म विशेष का मान लिया जाता है. जब इस देश की संसद पर हमला करने के आरोपी को आज तक इसी देश की संसद बचाए हुए है
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