मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 27 मई 2010

एमनेस्टी की रिपोर्ट....

मानवाधिकार के लिए काम करने वाली एमनेस्टी संस्था ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बड़े और प्रभावशाली देशों से कानून की मर्यादा को बनाये रखने को कहा है. संस्था ने यह आरोप लगाया है कि ताकतवर देश अपने को कानून से ऊपर रखना चाहते हैं और इसके चलते वे बहुत बार कानूनों का खुला उल्लंघन करने से भी नहीं चूकते हैं. आज दुनिया के बड़े और ताकतवर देश अपने को ऊंचा और प्रभावी दिखाने के लिए हमेशा ही कानूनों का उल्लंघन करते रहते हैं. यह बात किसी से भी नहीं छिपी हुई है कि चंद बड़े देशों ने अपने हितों के आगे किसी भी कानून को नहीं माना है. आज दुनिया में जो अधिकतर समस्याएं बनी हुई हैं उनके पीछे कुछ तत्वों और देशों की बहुत बड़ी भूमिका है. ये देश खुद तो अपना मानवाधिकार का रिकार्ड कभी भी नहीं देखते हैं पर दूसरों के बारे में इनको हमेशा ही बहुत कुछ दिखाई देने लगता है. यदि पूरी दुनिया में इस तरह की समस्याओं को ख़त्म करना है तो सभी को एक जैसे कानूनों को मानना ही होगा.
      भारत के बारें में भी इस संस्था ने जो राय दी है वह अच्छी नहीं कही जा सकती है. पर भारत के सन्दर्भ में जहाँ पर आतंकी और नक्सली घटनाओं में इधर कुछ बढ़ोत्तरी हुई है क्या सामान्य मानकों पर कोई रिपोर्ट तैयार की जा सकती है ? इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले देश में गरीबों और आदिवासियों की बातें तो कर देते हैं पर ज़मीनी हकीकत से उनका कभी भी पाला नहीं पड़ा है. यह सही है कि देश में कुछ अपरिहार्य कारणों और सरकारी/ प्रशासनिक संवेदन शून्यता के चलते आदिवासी आज कई इलाकों में नाक्साली गतिविधियाँ करने वालों को शरण देने लगे हैं. यह भी सही है कि जब प्रत्यक्ष या परोक्ष युद्ध की स्थिति होती है तो कई बार चाहते ना हुए भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हो जाता है. कश्मीर में जिन परिस्थितियों में सुरक्षा बल काम कर रहे हैं वहां पर तनाव और कुंठा आ ही जाती है फिर भी दुनिया के किसी भी आतंक प्रभावित क्षेत्र के मुकाबले कश्मीर में यह संख्या बहुत कम है. नक्सलियों के खिलाफ काम करते समय इस बात का पता ही नहीं चल पाता है कि कौन विध्वंसक गतिविधियों में शामिल हैं ? दूर दराज़ के क्षेत्रों में जवानों के लिए सुविधाएँ नहीं जुट पाती है जिसके कारण भी वे अपने कर्तव्यों का पालन पूरी तरह से नहीं कर पाते हैं. रिपोर्ट बनाना और वास्तविक धरातल की बात करना बहुत अलग बात है. हाँ यह माना जा सकता है कि देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार उल्लंघन हमारी नागरिक पुलिस ही करती है फिर भी उसके काम पर कभी भी कोई टिपण्णी नहीं की जाती है ?       

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. एमनेस्टी की यह रिपोर्ट सही और तथ्यों पर आधारित है /लेकिन एमनेस्टी भी अब जमीनी रिपोर्ट बनाने और उसे संबंधित देश को दिखाकर सुधार करने के लिए दवाब बनाने में असफल होती जा रही है / एमनेस्टी को और सख्त होना परेगा इस मुद्दे पर /

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