राजस्थान के धौलपुर से सागर की एक कम्पनी को भेजे गए ६०० टन विस्फोटक लदे ट्रक सागर तक नहीं पहुँचने के मामले में केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार से स्पष्टीकरण माँगा है और जल्दी ही इस मामले की गुत्थी सुलझाने को कहा गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि लगभग ४ महीनों में भेजे गए इस विस्फोटक के लापता होने के बारे में प्रदेश सरकार को कुछ खास पता ही नहीं था जबकि इस तरह के रसायन के गलत हाथों में पड़ जाने पर बहुत तबाही का समान बनाया जा सकता है. आखिर किस तरह की साजिश के तहत ये ट्रक गायब हुए और इनके रसायन को कहाँ भेजा गया अब यह सब बहुत ही चिंता का विषय है. देश में अभी भी बहुत कुछ अपने आप ही होने के लिए छोड़ दिया जाता है. अब जब जल्दी ही देश इतने बड़े खेल आयोजन को करने जा रहा है तो इस तरह की कोई भी घटना परेशानी का सबब बन सकती है.
आखिर क्या कारण रहे कि सागर स्थित गणेश मैगजीन ने पिछले ४ महीनों में इस तरह से गायब हो रहे रसायनों के बारे में कोई ठोस शिकायत क्यों नहीं की ? ४ महीनों में ६१ ट्रक गायब हो गए और उनके गंतव्य तक नहीं पहुँचने का मामला कहीं भी दर्ज नहीं किया गया ? कहीं इसके पीछे कोई बहुत सुनियोजित तरीके से काम तो नहीं करने में लगा हुआ है ? आख़िर वे कौन से विस्फोटक थे और किस तरह से उनसे घातक हथियार बनाये जा सकते हैं या उनका इस्तेमाल रासायनिक हथियार बनाने में किया जा सकता है ? इस सारे मामले में सागर की कम्पनी अपने को पाक साफ़ नहीं कह सकती है क्योंकि कोई भी व्यावसायिक कम्पनी १.३० करोड़ के माल के गायब होने पर भी चुप ही रहे यह बात भी समझ से परे है ? और ऐसा भी नहीं है कि यह घटना साधारण लूट कही जा सके क्योंकि उसमें एक आध ट्रक ही गायब हो सकता है ? आज के समय में जब माओवादी-नक्सली-आई एस आई सभी मिलकर आतंकियों को साथ लाकर भारत के खिलाफ खड़े होने वाली हर ताक़त को और मज़बूत करना चाहते हैं तो इस तरह से रसायन गायब होना चिंता जनक है.
ऐसा नहीं है कि इस तरह के खतरनाक रसायनों को कहीं भेजा नहीं जाता है पर अब समय आ गया है कि इनकी आवा-जाही पर राज्य की एस टी ऍफ़ की नज़रें होनी ही चाहिए. किसी भी तरह की विध्वंसक वस्तु के आने जाने पर निगरानी का एक तंत्र बनाने की अब ज़रुरत आ गयी है. अच्छा हो कि जो भी कम्पनी इस तरह के रसायनों आदि का व्यापार करती हों उनके लिए यह आवश्यक कर दिया जाए कि उनके हर ट्रक में जी पी एस सिस्टम लगा हो जिससे उनके पूरे रास्ते भर सुरक्षा के नाते नज़र रखी जा सके. किसी भी ऐसे वहां से यह सामग्री न भेजी जाये जिसमें यह सिस्टम न लगा हो. इस तरह से ख़तरनाक रसायनों के बारे में देश के सुरक्षा तंत्र को पूरी जानकारी रहेगी और किसी भी तरह से उनको रास्ते में गायब करना इतना आसान नहीं रह जायेगा. अब समय है कि इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय जल्दी ही नए दिशा-निर्देश जारी कर दे और उन पर तुरंत ही अमल शुरू कर दिया जाये. अब इतना समय नहीं है कि केवल चिंता व्यक्त की जाये. कही ऐसा न हो कि केवल चिंता से ही काम चलाया जाता रहे और देश विरोधी तत्व पूरे देश को बारूद के ढेर पर बैठा दें ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
... गायब हुआ है या सीधे तौर पर नक्सलियों/आतंकियों को सप्लाई कर दिया गया है !!!
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