मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 20 दिसंबर 2010

लश्कर आई एम का साथ ?

वाराणसी विस्फोट से जुड़े सबूतों को देखने के बाद जांच एजेंसियां जिस निष्कर्ष पर पहुँच रही हैं वह पूरे देश के लिए बहुत ख़तरे की बात हो सकती है. अभी तक यही माना जा रहा था कि कहीं न कहीं से इस मामले में देशी गुटों का ही हाथ है पर जिस तरह से पूरे विस्फोट में कहीं से भी किसी रिमोट का कोई सुराग नहीं मिला है उससे यही लगता है कि अब लश्कर जैसे आतंकी गुट भी कहीं न कहीं से आईएम से जुड़ रहे हैं और आगे चलकर यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बनने जा रहे हैं. अभी तक देश में रिमोट के माध्यम से ही आतंकी हमले हो रहे थे पर पहली बार इसमें तेज़ाब का उपयोग करके विस्फोट कराया गया है जो कि लश्कर के शीर्ष कमांडर करीम टुंडा द्वारा आतंकियों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
   अब समय है कि देश में हर तरह की आतंकी तकनीक पर पूरा ध्यान दिया जाए. यह मामला इस लिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि अभी तक देश में जो भी बड़े विस्फोट किये गए उनका कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में सबसे पहले वाराणसी को ही परीक्षण के तौर पर उपयोग किया गया. यह बात अब सुरक्षा एजेंसियों के लिए और भी बड़ा सिरदर्द बनने जा रही है क्योंकि इस तरह के विस्फोट के बाद अब यह कहा जा सकता है कि आतंकी कहीं न कहीं से इस तकनीक का परीक्षण करना चाह रहे थे और इसकी तीव्रता आदि का परीक्षण शायद उन्होंने वाराणसी में कर भी लिया होगा. अभी तक पूरी तरह से हथियारों और इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर ही सुरक्षा के सम्बन्ध में ध्यान दिया जाता था पर अब यह चुनौती बहुत बढ़ गयी है क्योंकि इस तरह से सभी तरह के रासायनिक हथियारों पर नज़र रखने के लिए हमारे पास कोई तंत्र अभी तक नहीं विकसित हो पाया है.
      अच्छा हो कि पूरी तरह से इस विस्फोट को गंभीरता से लिया जाए और भविष्य में इससे होने वाले किसी भी अंजाम के बारे में अभी से पूरे ख़ुफ़िया तंत्र को सतर्क कर दिया जाये. समय रहते विभिन्न शहरों में रासायनिक पदार्थों का व्यापार करने वाले लोगों पर नज़र रखी जाए और साथ ही उन्हें यह बताया जाए कि किन विस्फोटकों का दुरूपयोग आतंकी कर सकते हैं. इस तरह के रासायनिक पदार्थों को बेचने वालों को यह भी देखना होगा कि कहीं से गलत हाथों में यह सामग्री पहुँच कर विस्फोटक बनाने के काम में न लायी जाने लगे ?       


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