मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

संजय गाँधी किसके ?

देश में राजनीति करने वाले किस तरह से हर मामले में अपने फायदे की बातें ही देखा करते हैं इसका ताज़ा उदाहरण कांग्रेस की १२५ वीं वर्षगाँठ पर प्रकाशित पुस्तक में संजय गाँधी के बारे में लिखे विचारों से पता चल जाता है. जिन संजय ने कांग्रेस को बचाने के लिए आपातकाल लगवा दिया था और उस समय उनका विरोध करने वाला कोई भी नेता जेल से बाहर नहीं था फिर भी उनके उस समय लिए गए बहुत सारे विवादित फैसले आज भी पूरे देश के सामने उनकी एक तानाशाह की छवि प्रस्तुत करते रहते हैं ? कितनी बड़ी विडंबना है कि उस समय जिनका साथ संजय ने दिया था वे आज उनका विरोध कर रहे हैं और जिनको आपातकाल के समय जेल में डाला गया था वे आज संजय का बचाव कर रहे हैं ?
         नि: संदेह संजय में काम करने की बहुत ललक थी वे कई काम अपने हिसाब से करवाना चाहते थे और वैसा काम न हो पाने पर वे किसी को भी नहीं छोड़ते थे. आपात काल के समय आज के पूरे विपक्ष के सभी नेता जेल में थे और उनमें से कई तो कई राज्यों में सत्ता में भी हैं ? यह सही है कि इंदिरा गाँधी की छवि और संजय की तेज़ी के कारण ही भारत में बहुत सारे काम जो समय से होने चाहिए थे नहीं हो पाए क्योंकि सरकार चलाने में संजय का हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया था. संजय का चरित्र पूरी भारतीय राजनीति में बहुत ही अलग सा रहा है और बहुत से लोग आज तक उनके बारे में कोई राय नहीं बना पाते  हैं कि वे कब सही होते थे और कब वे अचानक ही गलतियाँ करने लगते थे ? संजय का उदय जितना तेज़ी से हुआ था उसी तेज़ी के साथ वे काम भी किया करते थे.
     आज समय ही ऐसा है कि जिन संजय ने आज की भाजपा के बड़े नेताओं को १९ महीने तक जेल की सलाखों के पीछे रखा था आज उनकी पत्नी और बेटा उसी भाजपा से सांसद हैं  ? आज संजय के कुछ क़दमों के कारण ही भाजपा उनका समर्थन किया करती है और उनकी कुछ गलतियों/ फैसलों पर संघ को भी लगता है उनका वह तरीका बिलकुल सही था. संजय की मौत के बाद जिस तरह से उनके पूरे जीवन पर जिस तरह से लोगों को आश्चर्य होता है कि आख़िर किस तरह से कोई एक व्यक्ति इतना रहस्यमयी हो सकता अहि और कई मामलों में तो संजय को उनकी माँ इंदिरा गाँधी भी नहीं समझ पायीं थीं ?  फिर भी चाहे कुछ भी हो संजय का भारतीय राजनीति को जो योगदान है उससे दूर नहीं हुआ जा सकता है और जिसकी माँ इंदिरा गाँधी जैसी हो तो उसमें भी कुछ न कुछ अंश उनके जैसा आना ही था. कुल मिलकर ऐसा लगता है कि संजय एक ऐसे जन नेता थे जिनमें काम करने की क्षमता भी थी और काम करने की हनक भी तभी तो उनकी मृत्यु के ३० साल बाद भी लोग उनको उनके कामों के लिए याद कर रहे हैं....
 


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1 टिप्पणी:

  1. किस तरह से संजय को अलग-थलग कर दिया कृतघ्नों ने. जिन्दा होते तो ये चरण धो-धोकर पी रहे होते.

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