मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 30 जनवरी 2011

मिस्र

                            मिस्र में बड़े पैमाने पर हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप लेना शुरू कर दिया है जिससे ३१ साल से अनवरत सरकार चलाने वाले राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के लिए अब बहुत बड़ी समस्या आने लगी है. इस कड़ी के ताज़ा घटना क्रम में सरकार ने विपक्षी नेता अल बरदाई को हिरासत में ले लिया है जो कि काहिरा में एक बड़े विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले थे. सवाल यह उठता है कि जब इतने समय से मुबारक वहां पर सत्ता का सुख भोग रहे हैं तो अब उनके खिलाफ़ जनता अचानक कैसे विद्रोह करने पर आमादा हो गयी है ? सत्ता का मद अच्छे अच्छों के सुनने और समझने की शक्ति छीन लेता है और इस क्रम में ताज़ा नाम मुबारक का जुड़ गया है. जनता की समस्याओं से मुंह मोड़कर राज नहीं किया जा सकता है पर यह बात भी देशको चलाने वालों की समझ में नहीं आता है.
       यह सही है कि इस समय विश्व भर में आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी बढ़ोत्तरी हो रही है जिससे हर जगह पर जनता के सामने समस्या आने लगी है और इस तरह के मसले को कोई भी सरकार पूरी तरह से हल नहीं कर सकती है पर केवल अच्छे से प्रयास करके समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. अभी भी मिस्र की सरकार इस मसले की गंभीरता को समझने का प्रयास नहीं कर रही है ? जिस तरह से अमेरिका ने यह कह दिया है कि वह वहां की जनता के साथ है और सरकार को समस्याएं दूर करने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने चाहिए उससे तो यही लगता है कि इस सरकार की उलटी गिनती शुरू होने वाली है. अमेरिका मिस्र का करीबी देश है और वह बहुत बड़ी आर्थिक सहायता भी देता है तो ऐसे में उसकी अनदेखी करना मुबारक के बाद की बात नहीं है.
     किसी भी देश के लिए सबसे बड़ी समस्या वहां पर जन विद्रोह होना ही होता है पर ऐसा नहीं है कि लोग ऐसे ही बिना किसी कारण सड़क पर उतर आते हैं ? जब भी सरकारें जन अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहती हैं तो बस उस समय ही विद्रोह की शुरुआत हो जाती है बस जनता में से ही कहीं से सामूहिक नेतृत्व भी निकल कर सामने आ जाता है. जनता को अकर्मण्य शासकों से बहुत बड़ी परेशानी होती है और आज के समय में ये शासक केवल अपनी जेबें भरने के बारे में ही सोचा करते हैं जनता की समस्याओं से इनका कोई वास्ता होता ही नहीं है. बस यहीं से धीरे धीरे चिंगारी भड़कने लगती है जो शुरू में छोटी लगती है पर जन असंतोष की आंच पाकर यह पूरे देश को ही लपेट लेती है. आज मिस्र में जल्दी ही किसी ठोस प्रयास की आवश्यकता है वरना उस क्षेत्र में एक और देश अराजकता की तरफ़ चला जायेगा ? मध्य पूर्व के इस देश में पर्यटन से बहुत आमदनी होती है और अराजकता के चलते इस उद्योग को भी भारी चोट लग सकती है जो वहां की जनता के लिए और भी कष्टकारी होगा.      

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