मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

लीबिया का संकट और भारतीय

              लीबिया में गद्दाफ़ी के खिलाफ़ जारी आन्दोलन के हिंसक होने के बाद भारत सरकार ने वहां पर रह रहे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए एक व्यापक योजना बनाई है. लीबिया सरकार द्वारा एयर इंडिया को राजधानी त्रिपोली में उतरने की अनुमति दिए जाने के बाद भारत सरकार ने युद्ध स्तर पर वहां फंसे भारतीयों को निकलने पर काम करना शुरू कर दिया है. सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में कोई भी सरकार अपने नागरिकों को वहां से कैसे सुरक्षित निकाल सकती है जब पूरे देश में अराजकता फैली हुई हो ? भारत के इन सभी देशों के साथ मधुर सम्बन्ध रहे हैं और इन संबंधों के कारण ही इन देशों के शासक भारत को अन्य देशों के मुकाबले अधिक आज़ादी दे दिया करते हैं. कुवैत पर इराक के हमले के समय भी भारत ने वहां पर चल रहे युद्ध के बीच ही सभी भारतीयों को युद्ध स्तर पर वहां से निकाल लिया था. अभी हाल ही में मिस्र से भी बहुत सारे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाल लिया गया था.
                    यह सही है कि जिस तरह से अरब देशों में जनता ने अपने शासकों के खिलाफ़ मोर्चे खोल रखे हैं तो ऐसी स्थिति में इन देशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भारत सरकार पर और अधिक बढ़ जाती है क्योंकि जब सरकारों का प्रभाव कम या ख़त्म होने लगता है तो वहां पर असामाजिक तत्वों का बोलबाला हो जाता है. इन तत्वों द्वारा वहां पर बसे सफल भारतीय नागरिकों से धन ऐंठने आदि की घटनाएँ भी हो सकती है ? इन सभी स्थितियों से अपने नागरिकों को बचाने के लिए उन्हें वहां से शांति स्थापित होने तक निकाल लेना ही सबसे अच्छा हल होता है. भारतीय लोगों को इस तरह से पहले भी वापस लाया गया है और अब सूचना और यातायात के व्यापक प्रसार को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हम अपने नागरिकों को सुरक्षित ही वहां से निकाल लाने में सफल होंगें.
             इस बार परिस्थितियां पहले से बहुत भिन्न हैं क्योंकि मिस्र से भारतीयों को निकलने के बाद यह पता चला कि एयर इंडिया ने इन परेशान हाल लोगों से किराये से अधिक धन लिया ? हालाँकि अभी तक इन बातों की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पायी है फिर भी अगर कहीं कुछ ऐसा हुआ है तो इस बार इस पर पूरी नज़र रखी जानी चाहिए. जैसा कि विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि इन लोगों को आपातकालीन परिस्थितियों में वहां से निकलने के लिए भारत सरकार ने कोई अधिक शुल्क नहीं लगाया है फिर भी त्रिपोली स्थित भारतीय दूतावास को इस बार यह सुनिश्चित करना ही होगा कि वापस आने वाले सभी नागरिकों को इस तरह की लूट घसोट से भी बचाने की कोशिश भी साथ ही की जाये ? जब कोई भी इस तरह की आपातकालीन परिस्थितियों में वापस आ रहा है तो निश्चित तौर पर उसकी सभी पूर्व निर्धारित योजनायें पटरी से उतर ही जायेंगीं और ऐसे में हमारी सरकारी विमान सेवा पर यह आरोप लगे कि उसने भी ऐसी स्थिति में कुछ दलालों को आगे कर पैसे बना लिए हैं तो यह बहुत ही शर्मनाक होगा. फिलहाल इनकी सुरक्षित घर वापसी ही हमारा सबसे प्राथमिक काम होना चाहिए.    
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