मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

मालदीव का सवाल ?

                     मालदीव जैसा छोटा सा देश जिसकी इस्लामी परन्तु खुली विचारधारा ने पूरी दुनिया के सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हितों को बहुत अच्छे से समझता है. भारत की ३ दिन की आधिकारिक यात्रा पर आये वहां के राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद ने जिस बेबाकी से अपने देश की राय दिल्ली में रखी वह पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है. जैसा हम सभी जानते हैं कि आज चीन अपनी सामरिक गतिविधियाँ बहुत दूर दूर तक बढ़ने में लगा हुआ है और जिस तरह से मालदीव हिंद महासागर में एक छोटा परन्तु भौगोलिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण देश है उसे देखते हुए पाक और चीन समेत इस्लामी कट्टरपंथियों की नज़रें उस पर लगी रहती हैं. इराक अफगानिस्तान और कश्मीर में अपने अड्डों पर हमले होने से ये आतंकी अब कुछ नहीं जगह तलाश करने में लगे हुए हैं. मालदीव शुरू से ही भारत को अपना स्वाभाविक पड़ोसी मानता है और अब उसने यह आधिकारिक तौर पर कह भी दिया है कि भारत से उनकी चीन के मुकाबले बहुत समानता है भारत से उसका बहुत कुछ मिलता जुलता है. साथ ही मालदीव भारत की तरह एक लोकतंत्र भी बन चुका है.
                मुशीद ने जिस तरह से चीन की उपस्थिति पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया उससे चीन के हिंद महासागर में बढ़ते हुए कदम जल्द ही ठिठकने वाले हैं. चीन ने यह सोचा था कि पाकिस्तान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके वह इस्लाम की दुहाई देकर मालदीव को भी अपने पाले में कर लेगा और आने वाले समय में भारत को घेरने के लिए यहाँ पर अपना सैनिक अड्डा भी बना लेगा ? पर मालदीव की सरकार चीन की इस नीति को समझ चुकी है और उसने साफ़ शब्दों में यह कह दिया है कि हिंद महासागर में अन्य सैन्य ताकतों की कोई भी आवश्यकता नहीं है. यह वहां के नेतृत्व की दूरदर्शिता ही है कि वह अपने और भारत के हितों को अच्छे से समझता है आज मालदीव के जितने पास भारत है उतना कोई भी देश नहीं है. इसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि भारत जहाँ इस छोटे से देश को हर तरह की सहायता बिना कुछ सोचे देने के लिए हमेशा ही तैयार रहता है और इस देश में बुनियादी सुविधाएँ जुटाने में भारत का बहुत बड़ा योगदान है.
                     मुशीद के यह कहने से एक बात तो स्पष्ट है कि जब तक मालदीव में कोई बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन नहीं होता है तब तक भारत के लिए किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है ? फिर भी भारत को इस देश की हर ज़रुरत का ध्यान उसी तरह रखना होगा जैसा कि वह भूटान और नेपाल के बारे में रखता है. नेपाल में वहां की राजशाही ने अपने हितों को साधने के चक्कर में भारत की छवि को बहुत धूमिल कर दिया था.पिछले कुछ समय से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि आने वाले समय में मालदीव के सूनसान पड़े टापुओं पर आतंकी अपने अड्डे बन सकते हैं पर अब मालदीव सरकार ने जिस तरह से भारत के साथ काम करने की इच्छा जताई है उसे देखते हुए अब यह संशय काफी हद तक कम हुआ है. मालदीव को यह फ़र्क समझ में आता है कि भारत वहां पर वास्तव में सहयोग कर रहा है और अन्य देश वहां पर अपने हितों को साधने के लिए उसका इस्तेमाल करने आना चाहते हैं. फ़िलहाल अब यह भारत की ज़िम्मेदारी भी बनती है कि आने वाले समय में इस देश की हर ज़रुरत का ध्यान रखा जाये जिससे किसी भी अन्य देश को यहाँ पर आने का अवसर नहीं मिल सके. 
   
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