मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 15 मार्च 2011

हमारे परमाणु बिजलीघर

                             जापान में आए विनाशकारी भूकंप के बाद आई सुनामी की चपेट में आने से जिस तरह से वहां के परमाणु बिजलीघरों को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही है उससे यही लगता है कि पूरी दुनिया इस सुरक्षित पर अत्यंत खतरनाक ऊर्जा विकल्प के बारे में फिर से सोचना शुरू करने वाली है. यह सही भी है कि आम तौर पर इन रिएक्टरों को बहुत ही सुरक्षित बनाया जाता है फिर भी इस तरह की किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय कहीं से भी यह नहीं कहा जा सकता है कि दुनिया में कहीं भी ये पूरी तरह से सुरक्षित हैं ? साधारण परिस्थितयों में जब सब कुछ सामान्य हो तो इनकी सुरक्षा करना बहुत आसान होता है पर जब इस तरह से कोई आपदा आ जाये तो सारी व्यवस्था ही छिन्न-भिन्न हो जाया करती है. ऐसा ही कुछ जापान में भी हुए जहाँ पर भूकंप से तो कम नुकसान हुआ पर उसके बाद आने वाली सुनामी ने तबाही के नए पन्ने लिख डाले.
        जिस तरह से मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत अपने सभी परमाणु ऊर्जा केन्द्रों की सुरक्षा के बारे में पूरी तरह से समीक्षा कर रहा है और किसी भी परिस्थिति में कहीं से भी सुरक्षा के मुद्दे पर कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. यह सही है कि हमारे यहाँ कई तरह की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इन परमाणु संयंत्रों में किया जाता है फिर भी हमें इस मसले पर फिर से विचार करने की आवश्यकता सदैव ही बनी रहेगी. यह सही है कि सभी लोग पूरी सुरक्षा का ध्यान रखते हैं फिर भी कभी भी कोई दुर्घटना होने की सम्भावना तो बनी ही रहती है. हमारे संयंत्र पूरी तरह से सुरक्षित हैं इसका पता तभी चल गया था जब २००२ के गुजरात भूकंप के समय काकरापार संयंत्र पूरी तरह से काम करता रहा था पर दक्षिण भारत में आई सुनामी के समय कलपक्कम संयंत्र को सुरक्षा के कारण बंद करना पड़ा था. फिर भी इस बात से खुश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भूकंप से तो जापान के संयंत्र भी बच गए थे फिर भी वहां तबाही का ख़तरा तो है.
      कोई भी व्यवस्था पूरी तरह से निरापद नहीं हो सकती है, हाँ उसके खतरों को समझते हुए पूरी सावधानी से काम अवश्य किया जा सकता है. देश में जिस तरह से ऊर्जा का संकट है और आने वाले समय में किसी और साधन से इतनी ऊर्जा बनाना अभी संभव नहीं लगता है जो हमारी बढ़ती ज़रूरतों को पूरा कर सके तो परमाणु ऊर्जा के अतिरिक्त और क्या विकल्प हमारे पास बचता है ? हर प्रौद्योगिकी के अपने लाभ और ख़तरे हैं तो क्या किसी आने वाले संभावित ख़तरे को देखते हुए हम आगे बढ़ना ही छोड़ देंगें ? नहीं... आज आवश्यकता इस बात की है कि पूरी दुनिया के साथ हमारे संयंत्र भी सुरक्षा के कड़े मानदंडों को पूरा करें. ऐसी आपदाएं रोज़ तो नहीं आती हैं फिर भी इनके लिए हमारी तैयारियां ही यह साबित करती हैं कि हम कितने सुरक्षित हैं ? जापान में हर सुरक्षा मानदंड का कड़ाई से पालन किया जाता है फिर भी इस तरह के भीषण तबाही के क्षणों में उसकी तैयारियां कई बार कम ही लगती हैं फिर भी अब हमें यह सीखना होगा कि किसी भी आपदा के समय कैसे प्रतिक्रिया दें.     
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

6 टिप्‍पणियां:

  1. जापान ही दुनियाँ का पहला देश है जिसने इस्लाम को प्रतिबंधित किया.

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  2. परमाणु उर्जा का वर्तमान मे कोई विकल्प नही है! ये वक्त की मजबूरी है। जरूरत है इसे और सुरक्षित बनाने की।
    जब तक परमाणु संलयन रिएक्टर की कारगर तकनिक नही बन जाती हमे परमाणु विखण्डन वाले रिएक्टर का प्रयोग करना होगा।

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  3. सौर उर्जा | स्पेन में इस तरह का सयंत्र लगा है |
    इस लिंक को देखें
    http://en.wikipedia.org/wiki/Solar_power_in_Spain

    हमारे यहाँ भी सूर्य की रौशनी की कोई कमी नहीं

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  4. @सलीम खान
    इस्लाम को प्रतिबंधित करने से इसका कोई सम्बन्ध नहीं |

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  5. सलीम जी को चाहिये कि वे विज्ञान का अध्ययन करें. लातूर के भूकम्प में मुस्लिम भाई-बहन भी मारे गये थे, उन्होंने क्या इस्लाम को प्रतिबन्धित कर दिया था?

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