उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मनचलों की हरकतों से परेशान पुलिस ने इनको सज़ा देने के लिए एक बिलकुल नया तरीका सोचा है, इन मनचलों के लिए पुलिस ने विशेष तौर पर लोहे के पिंजरे बनवाये हैं जिन्हें शहर के मुख्य चौराहों और कन्या विद्यालयों के पास रखवाने की योजना है. कहीं पर भी लड़कियों के साथ छेड़ खानी करने पर अराजक तत्वों को इन पिंजरों में सार्वजनिक तौर पर बंद रखा जायेगा जिससे लोग यह देख सकें कि यह इस तरह की घटनाओं में शामिल रहते हैं. अभी तक बुलंदशहर में जिस तरह से इन अराजक तत्वों ने लड़कियों का जीना हराम कर रखा है उससे बचने के लिए पुलिस के पास कोई पक्का इंतज़ाम नहीं है जिस कारण से ये अपनी गलत हरकतों से लड़कियों का सड़क पर निकलना मुश्किल किये हुए हैं. पुलिस के पास और भी बहुत सारे काम होते हैं जिनके चक्कर में वो इस तरह के सामाजिक कामों के लिए समय ही नहीं निकल कर पाती है.
हो सकता है कि इस तरह की योजना का कुछ लोग विरोध भी करने लगें क्योंकि समाज में कुछ लोग इसे मानवाधिकार के खिलाफ भी मान सकते हैं और सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए लोग ऐसे अलग से होने वाले कामों को रोकने की मांग भी करने लगते हैं जिससे काम करने वाले की मंशा अधूरी रह जाती है और इन लोगों के अराजकता फ़ैलाने का अवसर भी मिल जाता है. अच्छा हो कि समाज के हर वर्ग से इस तरह की किसी भी कोशिश को पूरी सहायता और समर्थन दिया जाये क्योंकि आख़िर इससे प्रभावित होने वाले लोगों में समाज के ही लोगो की बच्चियां होती है और तो और इन लोगों की हरकतें इतनी बढ़ जाती हैं कि ये महिलाओं को भी नहीं छोड़ते हैं ? आखिर क्यों न इस तरह के हर प्रयास को सुधार के तौर पर देखा जाये क्योंकि छेड़ खानी की किसी भी घटना में पुलिस केवल अभियुक्तों को पकड़ सकती है और समाज में बदनामी के डर से कोई भी लड़की कोर्ट में जाकर गवाही नहीं देना चाहती है जिससे ये मंजनू आसानी से छूट जाया करते हैं.
अब समय आ गया है कि ऐसे लड़कों को पूरी सख्ती से यह बात समझा दी जाये कि अब ऐसी हरकतें कहीं से भी नहीं चलने वाली हैं क्योंकि समाज में सभी को जीने का हक है और लड़कियों से यह हक कैसे लिया जा सकता है ? इस तरह की सोच रखने वाले पुलिस अधिकारी की सेवाओं को प्रयोग के तौर पर पूरे प्रदेश में लागू करवा देना चाहिए जिससे हर जगह पर इन शोहदों को सही सजा तुरंत मिल सके. स्थानीय मीडिया की सहायता से इनकी तस्वीर भी रोज़ ही छापी जाये जिससे इनके हौसले पस्त हो जाएँ क्योंकि जब तक इनको मानसिक स्तर पर हराया जा सकेगा तभी इनसे सही तरह से निपटा जा सकेगा. इस तरह के किसी भी अभियान को पुलिस, प्रशासन और जनता का पूरा सहयोग होना चाहिए पर साथ ही यह भी देखना चाहिए कि कहीं पर पुलिस की कार्यप्रणाली के चलते यह प्रयास भी पूरी तरह से असफल हो जाये क्योंकि पुलिस को पैसे लेकर कुछ भी मनमानी करने की जो आज़ादी मिली हुई है वही समाज के लिए ख़तरनाक हो जाया करती है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
एक शगूफा है. पुलिसवाले की औलाद पकड़ी जायेगी तो उसे यूं ही छोड़ दिया जाता है. कम से कम एक दिन की सार्वजनिक सेवा कराया जाना चाहिये, पकड़े जाने के समय से.
जवाब देंहटाएंमजनू कहेगा
जवाब देंहटाएंतू लाख कर इन्कार दीवानगी है मेरी
तेरे लिए हो जाऊंगा मै रोज बंद पिंजरे मै
या फिर कोई लैला न कह दे
मेरे जलवो की खता है जो ये दीवाना हुआ
कोई पिंजरे में ना डाले मेरे दीवाने को
तब पुलिश क्या करेगी ????? इन मजनुओ का कुछ अलग ही सोचना होगा