मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

जापान की जीवटता

                             जापान का नाम सामने आते ही एक ऐसे देश की छवि सामने आती है जिसने दुनिया की अभी तक के हुए दोनों परमाणु बम हमलों के बाद अपने भविष्य को पूरी तरह से नए सिरे से लिखा है. आज जापान जिन परिस्थितयों से जूझ रहा है अगर वैसी स्थिति दुनिया के किसी भी अन्य देश के सामने होती तो वह निश्चित तौर पर हार मान लेता और कुछ कहने की स्थिति में नहीं होता फिर भी यह जापान है और इसने हर बार विनाश से जूझ कर विकास की नयी इबारत लिखने का काम किया है. आज पूरी दुनिया में परमाणु ऊर्जा को लेकर चुनौतियों और सुरक्षा की बातें की जा रही है पर जापान ने जिस तरह के सुरक्षात्मक कदम उठा रखे थे उनसे अधिक कुछ किया भी नहीं जा सकता है. आज पूरी दुनिया डर के कारण अपनी परमाणु नीतियों की समीक्षा करने में लगी हुई है पर इस मामले से इतना डरना की ज़रुरत नहीं है जितना भय लोगों को दिखाया जा रहा है. जापान में कुछ संयंत्रों में भूकंप और सुनामी दोनों के कारण तबाही का स्तर बढ़ गया है. फिर भी वहां के अन्य सुरक्षित संयंत्रों से बिजली बनाये जाने का काम जारी है, किसी आपदा से अगर कहीं एक जगह कुछ हो गया है तो उसका मतलब यह तो नहीं कि उसको पूरी तरह से छोड़ दिया जाये.
           क्या कोयले से बनी बिजली से खतरे नहीं है या जिस पन बिजली को पूरी तरह से निरापद बताया जाता है भारत में क्या वह पूरी तरह से निरापद है ? अगर इस तरह की किसी भी तीव्रता का कोई भूकंप हिमालय में आता है तो हमारे टिहरी और भाखड़ा-नंगल बांध किस हद तक सुरक्षा के मानकों को पूरा कर पायेंगें यह तो समय ही बताएगा पर इस बीच इन सबसे जितनी ऊर्जा का उत्पादन हुआ है और आज भी यहाँ से देश को ऊर्जा मिल रही है उसे देखते हुए यह अवश्य कहा जा सकता है कि केवल काल्पनिक भय के कारण ही तो इन्हें बंद नहीं किया जा सकता है ? देश के पास जिस तरह के संसाधन उपलब्ध हैं उनका सही उपयोग करना हमें सीखना ही होगा आने वाले किसी समय में हिमालय में भूकंप आने से होने जल प्लावन के लिए हमारी तैयारियां अभी से पूरी होनी चाहिए और लोगों को इस बात के लिए समझाया जाना चाहिए कि वे नदी के किनारे बसने के समय अपने मकान आदि का निर्माण किस तरह से करें. पर जब यहाँ निर्माण में ही धांधलियां होती रहती है और पुल बनते समय ही गिर जाया करते हैं उससे भविष्य के बारे में चिंता होनी स्वाभाविक ही है. 
         हमें भी जापान से सीखना चाहिए कि किसी भी आपदा के समय सभी को किस तरह से काम करना चाहिए और अपने को किस तरह से इन सबके लिए तैयार रखना चाहिए ? आपदाएं बताकर नहीं आती हैं फिर भी जापान के परमाणु बिजली घरों में जिस तरह से कर्मचारी अपनी जान की परवाह न करते हुए देश को सुरक्षित करने का काम कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि जापान ने अपने लोगों को यह समझा दिया है कि जीना है तो देश के लिए जीना सीखो और अगर मरना भी है तो देश के लिए हँसते हुए जान दे दो. धन्य है उनकी जीवटता और धन्य हैं वहां के निवासी जिनकी प्राथमिकतायें इतनी स्पष्ट और दीर्घकालिक हैं. हम सभी जापान के साथ हैं केवल व्यापार के लिए ही नहीं बल्कि उस मानवता के लिए जिसके लिए आज जापान पूरी ऊर्जा से संघर्ष में लगा हुआ है.             
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2 टिप्‍पणियां:

  1. यहां तो किसी चीज पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इसलिये बेहतर है कि सूर्य-जल-वायु का प्रयोग कर ऊर्जा उत्पन्न की जाये और इससे भी जरूरी कि आबादी पर नियन्त्रण लगाया जाये.

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  2. वाकई जापानी जीवटता दुनिया के सामने सदैव मिसाल बनी है ।

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