मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 30 मार्च 2011

पुलिस और राशन कार्ड

               हरियाणा का रोहतक अपने आप में जिस तरह से नए नए कामों में आगे रहा है उससे वहां के लोगों और प्रशासन को बहुत लाभ भी हुआ है इस क्रम में वहां पर अब फ़र्ज़ी और गलत तरह से बनाये गए राशन कार्डों का पुनः सत्यापन किया जा रहा है उससे सरकार को बहुत लाभ होने वाला है क्योंकि जो योजनायें अभी तक केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए बनायीं जाती थीं उन पर ग़लत लोग अपना अधिकार जमाते रहते थे. यह सही है कि सरकारी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार ने देश को बहुत अन्दर तक खोखला करने का काम शुरू कर दिया है. एक छोटे स्तर पर किये गए प्रयास ने वहां पर लोगों को फिर से सोचने को मजबूर कर दिया कि आख़िर वे सही लाभार्थी न होने के बाद भी कैसे इन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं ? अभी तक सरकार के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि वह यह देख सके कि जो योजनायें जिनके लिए बनायीं जा रही हैं वे उन तक पहुँच भी रही हैं या नहीं ? भले ही दंड के दर से ही सही पर रोहतक ने देश को एक राह तो दिखा ही दी है.
         अभी तक जो राशन कार्ड केवल आवश्यक उपभोग की कुछ वस्तुएं लोगों तक पहुँचाने का काम किया करते थे उनमें व्यापक रूप से अनियमितता करके सरकारी कोष को बहुत बड़े स्तर पर चूना लगाया जा रहा है. रोहतक पुलिस के आई जी कामराजा ने एक अभियान के तहत लोगों के फर्जी राशन कार्डों को पकड़ने का काम शुरू किया और जिस तरह की उनकी छवि थी उसको देखते हुए भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि लोगों ने अपने राशन कार्ड रद्द करवाने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन करना शुरू कर दिया. अभी तक जिन कार्डों को बनवाने में बहुत कुछ खर्च करना पड़ रहा था अब गलत रूप से लाभ उठा रहे लोगों ने खुद ही अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर यह कहना शुरू कर दिया कि उनके बीपीएल कार्ड को निरस्त कर दिया जाये. एक ऐसी मुहिम जिसकी इतनी बड़ी सफलता की आशा नहीं थी पर इस छोटे से प्रयास ने यह तो दिखा ही दिया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो बहुत कुछ किया जा सकता है.
     इस अभियान को इतने छोटे स्तर पर ही नहीं चलाया जाना चाहिए क्योंकि अगर पूरे देश में इस तरह के अभियान को गति मिल सके तो पूरी देश में सार्वजानिक वितरण प्रणाली पूरी तरह से सफल हो सकती है. अभी तक कोई इस तरफ सोचना भी नहीं चाहता था और इस पूरे मसले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भ्रष्ट आचरण के लिए हमेशा ही सवालों में रहनी वाली पुलिस ने इस अभियान को चलाकर यह साबित कर दिया है कि वह इतनी भ्रष्ट भी नहीं है और अगर सरकार के पास सही इच्छा शक्ति हो तो यही पुलिस कुछ भी कर सकती है. इस काम से केवल खुश होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इसको अविलम्ब पूरे देश में लागू करवाने की आवश्यकता है. अभी भी समय है कि बहुत सारी योजनायें बनाए के स्थान पर अगर पहले से चल रही योजनाओं को ही सही ढंग से लागू करवाने पर ध्यान दिया जाये तो बहुत कम प्रयासों से ही बहुत बड़े काम किये जा सकते हैं और इनके लिए देश को नए संसाधनों की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी.     
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