भारत पाकिस्तान के गृह सचिवों की नयी दिल्ली में हुई बैठक में यह तय किया गया कि आतंकवाद से जुड़ी हर सूचना को अब दोनों देशों के बीच हॉटलाइन पर साझा किया जायेगा जिससे आतंक से जुडी किसी भी समस्या से आसानी से निपटा जा सके. पता नहीं क्यों भारत सरकार धीरे-धीरे फिर से पाक को मुंबई हमलों के बाद की गयी सख्ती से छूट देने का मन बना चुकी है. अभी तक पाक की तरफ से ऐसा कोई भी ठोस काम नहीं किया गया है जिससे यह लग सके कि कहीं से भी वह अपने यहाँ आतंक के नेटवर्क को तोड़ने और ध्वस्त करने कई कोशिश कर रहा है ? यह सही है की बहुत दिनों से संबंधों में जो ठंडापन दिखाई दे रहा है उसके लिए भारत से ज्यादा पाक ज़िम्मेदार है क्योंकि अभी तक वह २६/११ के लिए भारत को जांच में उस स्तर पर सहयोग नहीं कर रहा है जिसकी उससे आशा की जाती है.
पाक में आतंकियों का वहां की सरकार से अच्छा नेटवर्क है और कोई भी सरकार इस आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त नहीं करना चाहती है क्योंकि इसके चलते ही वह अमेरिका और पश्चिमी देशों को आतंक का भय दिखा कर अपना उल्लू सीधा करने में लगा हुआ है. अगर यह सब वहां से ख़त्म हो जायेगा तो उसे हथियारों की आपूर्ति में रूकावट हो जाएगी. सवाल संवाद बढ़ने का नहीं बल्कि ज़रूरी संवाद को पहुँचाने का है ? कोई भी हॉटलाइन किसी भी तरह से केवल संपर्क का काम ही कर सकती है और कुछ भी नहीं. ज़रूरी जानकारी बांटने के लिए आज दुनिया में बहुत सारे अन्य विकल्प हैं तो फिर संवाद का यह पुराना तरीका आख़िर क्या मदद कर देगा ? ऐसा भी नहीं है कि हर बार के आतंकी हमले के बाद भारत पाक पर हमला करने के बारे में ही सोचता रहता है पर कहीं न कहीं से इस बात की आशंका भी बनी रहती है.
पाक के लिए ज़रूरी यह है कि वह अपने जन्म के समय से ही भारत के साथ किये जा रहे भेद भाव और सोच में बदलाव करे क्योंकि भारत के साथ पाक का कोई पुराना बैर नहीं है बस यह उस राष्ट्र की मानसिकता से जुड़ा मसला है और पाक कहीं से भी भारत को खुश नहीं देख सकता है. आज तक उसने जो ऊर्जा भारत के खिलाफ लगायी है अगर उसका सही उपयोग किया होता तो पाक की गिनती विश्व के बहुत अच्छे देशों में होती पर उसे केवल भारत का विरोध करना ही अपना मुख्य ध्येय बना रखा है और गलत सोच कभी भी सकारात्मकता नहीं ला सकती है ? क्योंकि जब हमेशा ही नकारात्मक रहा जायेगा तो कहीं से भी अच्छी सोच विकसित नहीं हो पायेगी. अब भी समय है की पाक भारत के साथ अपने झूठे बैर को छोड़कर आगे आये और साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में सहयोग और विकास की नयी इबारत लिखने के लिए प्रयास करे. पर क्या ऐसा कभी संभव हो पायेगा ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें