मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 29 मार्च 2011

बाघ और हम

                  देश में पिछले ४ वर्षों में बाघों की संख्या में अच्छी बढ़ोत्तरी दर्ज़ होने ने पर्यावरण से जुड़े लोगों को ख़ुशी का एक अवसर दे दिया है. ४ वर्ष पहले की गयी गणना के अनुसार देश में जहाँ औसत १४११ था वह अब बढ़ कर १७०६ हो गया है. इस बारे में आंकड़े देख कर तो यही लगता है कि ४ वर्ष पहले बाघों को लेकर जो चिंता देश में थी और जिस तरह से प्रधानमंत्री तक ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाई थी और जिस तरह के प्रयास प्रारंभ किये गए थे उन्हें देखकर लगता है कि कोशिश करने पर इस तरह का लक्ष्य हासिल करना भी कठिन नहीं होता है. इस तरह के किसी भी मामले को पूरी लगन के साथ लागू किया जाये तो कुछ भी किया जा सकता है. अच्छा है कि किसी भी तरह से सही पर हमारे जंगलों में बाघों का बढ़ना एक शुभ संकेत है. यहाँ पर एक बात यह भी देखनी होगी कि इस बार की गणना में पहली बार सुंदरबन को भी शामिल किया गया है कहीं ऐसा तो नहीं है कि ये आंकड़े वहां के बाघों को भी शामिल करने से अधिक अच्छे लग रहे हैं ? 
       कुछ भी हो इस तरह से बाघों का बढ़ना अच्छा है पर साथ ही विकास के मायने में इन बाघों और हमारे पूरे पारिस्थितिक तंत्र को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है. जिस तरह से उत्तर प्रदेश की तराई में बाघों और मनुष्यों में टकराव बढ़ा है उससे यही लगता है कि अगर हमने अब भी इनके लिए कुछ जगह नहीं छोड़ी तो आने वाले समय में हम तो सुरक्षित नहीं रहेंगें और इन बाघों पर भी संकट मंडराता रहेगा. अभी भी देर नहीं हुई है देश के संरक्षित वन क्षेत्रों में इस बात का ध्यान देना ही होगा कि कहीं से भी यह टकराव और न बढ़ने पाए. जब इनके लिए संरक्षित वन क्षेत्र की घोषणा हो जाती है आखिर तब भी कैसे लोग इन क्षेत्रों में आसानी से घूमते रहते हैं ? इस तरह से लोगों की आवाजाही का असर इन बाघों पर भी पड़ता है क्योंकि जहाँ आम लोग अधिक जाते हैं तो उनकी आड़ में शिकारी और पशु तस्कर भी इन स्थानों में आसानी से घूमने लगते है और समय मिलते ही इन बाघों को मारने में नहीं चूकते हैं.
      देश के जिन भागों में बाघ बढ़े हैं वहां पर इनको और संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है और इस बात का भी ध्यान रखने की ज़रुरत है कि इनका मनुष्यों से संघर्ष अधिक न बढ़े. इतने बड़े देश में १७०० बाघों को लेकर बहुत खुश होने की भी कोई बात नहीं है जब तक यह जीव खतरे में है तब तक इनको संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जाने चाहिए. आज पिछले ४ वर्षों के जिन प्रयासों ने हमें यह ख़ुशी दी है उसे बचाकर रखने और इनकी संख्या में और बढ़ोत्तरी करवाने के लिए हर संभव प्रयास किये जाने की आवश्यकता है. इस बारे में संरक्षित क्षेत्रों की जनता के साथ और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक इनका आपस में तालमेल सही नहीं होगा तब तक कहीं से भी इनको संरक्षित करने का कोई काम ठीक से नहीं किया जा सकता है.      
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