पाक के पूर्व तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ ने भारत को पाक के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताकर एक बार फिर से दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और चौड़ा करने का काम ही किया है. २००४ में भी क्रिकेट के ज़रिये शुरू हुई कूटनीतिक पहल २६/११ तक चलती ही रही थी जब तक पाक समर्थित आतंकियों ने मुंबई पर हमला नहीं बोला था. आज भी यह देखने का विषय है की पाक के नेता किस सुर में बातें करते हैं ? मुशर्रफ़ ने फिलहाल आतंकवाद को पाकिस्तान के लिए ख़तरा तो बताया पर उन्हें भारत एक स्थायी शत्रु दिखाई देता है और जिसके लिए वे कुछ भी कहने में नहीं चूकते हैं. मुशर्रफ़ को लगता है कि भारत की ९० % सेना पाक के ख़िलाफ़ है और वे इसे भारतीय सेना का स्थायी भाव भी बताने से नहीं चूकते हैं. मुशर्रफ़ के दिल का फ़ौजी हमेशा की तरह शंका ही व्यक्त करता रहता है और उसके पास कोई काम नहीं होता है.
ऐसा कुछ भी कहने से पहले वे यह भूल जाते हैं कि पाक ने अपने जन्म के समय से भारत के ख़िलाफ़ किस तरह के मोर्चे खोल रखे हैं और वहां के शासकों के लिए भारत का अनावश्यक रूप से विरोध करना एक मजबूरी बन चुकी है. हर देश के सामने अलग तरह की परिस्थियाँ होती हैं और उनसे निपटने के लिए समय समय पर अलग अलग तरह के प्रयास किये जाते हैं. पाक के पास भारत के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं हैं फिर भी वह अपने यहाँ आतंकियों को ट्रेनिंग देते समय इसी बात को आगे रखता है कि भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं और पूरे भारत पर इस्लाम का वर्चस्व करने के लिए वह अपनी भोली भाली जनता को गुमराह करता रहता है. जबकि उसे भी पता है कि पूरे विश्व में जिन अधिकारों के साथ मुसलमान भारत में रह रहे हैं वैसे तो पाकिस्तान ने भी उन्हें नहीं दिए हुए हैं. इसके बाद भी वह अपने यहाँ भारत का विरोध करने के लिए हर तरह की बातें करने से पीछे नहीं रहता है.
कभी मुशर्रफ़ को यह समझ नहीं आता कि जिस भारत के ख़िलाफ़ पाक ने ४ प्रत्यक्ष और लगातार परोक्ष युद्ध छेड़ रखा है उसकी सेना क्या उनके हक़ में हो सकती है ? वे खुद फ़ौजी रहे हैं और उन्हें यह पता है कि सेनाएं सरकारों की तरह अपने रुख नहीं बदला करती हैं उनकी अपनी कार्यप्रणाली होती है. किसी सरकार के कहने से कभी तो कुछ हद तक कटौती की जा सकती है पर किसी भी शत्रु के लिए अपनी रणनीति को इतनी आसानी से बदला नहीं जाता है. पाक ने भारत को परेशान करने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है तो वह भारत की रक्षा के लिए ज़िम्मेदार सेना को पाक के हक़ में कैसे मान भी सकते हैं ? भारत की अपनी ज़रूरतें है और आज पाक भारत के सामने किसी भी मोर्चे पर नहीं टिकता है. आज भारत विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती हुई शक्ति है तो पाक अपने वजूद से लड़ता हुआ कबीलों का एक समूह भर है ? अच्छा हो कि इस तरह की बातों में फंसने के बजाय पाक अपने गिरेबान में झांक कर देखे जिससे रिश्ते और ख़राब होने से बच सकें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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