मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

कंधार कांड का सूत्रधार

           चिली पुलिस की सूचना के अनुसार उसने एक ऐसे संदिग्ध पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति रऊफ़ को पकड़ा है जो १९९९ में भारतीय विमान के अपहरण का मुख्य साजिश करता कहा जा रहा है. चिली पुलिस ने उसे पकड़ते ही कहा कि इस व्यक्ति के ख़िलाफ़ रेड कार्नर नोटिस जारी  है और यह कंधार काण्ड से जुड़ा हुआ ही है. भारत के पास इस व्यक्ति के बारे में कोई पुख्ता जानकारी आज भी नहीं है पर जिस तरह से चिली पुलिस इस बारे में पक्की तरह से बात कर रही है उससे यही लगता है कि आने वाले समय में इस व्यक्ति की पहचान होने पर इसे भारत लाकर मुक़दमा चलाया जा सकता है. फिलहाल इस व्यक्ति के बारे में फैसला लेने के लिए जल्दी ही सीबीआई वहां अपनी टीम भेजने वाली है. भारत के लिए कंधार कांड एक ऐसा बुरा स्वप्न साबित हुआ था जिसमें हमारे नागरिकों ने एक हफ्ते तक नारकीय जीवन जिया था और विमान में बैठे लोगों के लिए वह मानसिक संत्रास का एक लम्बा समय था.
      आज अगर इस रऊफ़ को पकड़कर इस पर मुक़दमा चलाया जाता है और इसे सज़ा भी होती है तो रूपिन कात्याल के परिवार को अवश्य ही कुछ संतोष मिलेगा पर जिस तरह से इस व्यक्ति ने एक विमान नहीं बल्कि पूरे भारत का अपहरण किया था उसे देखते हुए इसके लिए कोई भी सज़ा कम है. आज भी भारत में आतंकियों के ख़िलाफ़ काम करने के लिए व्यापक कानून नहीं हैं वरना अजहर मसूद जैसे आतंकियों को सजा के बाद जेल में रखने का कोई तुक नहीं बनता है इनके लिए देशद्रोह और आतंक के त्वरित मुक़दमें चलाकर फाँसी पर लटका देना चाहिए जिससे किसी भी परिस्थिति में कहीं से आतंक का समर्थन और फ़ैलाने की सभी बातें कम हो सकें. कानून की सुस्ती और उसमें व्याप्त बहुत सारी कमियों को दूर न करने के कारण भी आज संसद पर हमले में सजा पाए हुए आतंकी अजहर को अभी तक कानूनी प्रक्रिया में उलझाकर फाँसी पर नहीं लटकाया जा सका है.
      अब भी समय है कि आतंक के ख़िलाफ़ काम करते समय केवल देश के बारे में ही सोचा जाये पर किसी पूर्वाग्रह से कोई काम नहीं किया जाये क्योंकि आज भी देश में बहुत से स्थानों पर आतंकी सक्रिय हैं और वे हमला सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं कि उनको इसकी आवश्यकता नहीं है और जिस दिन भी वे चाहें तो आम जनता की लापरवाही और आतंक के ख़िलाफ़ कोई पैनी नज़र नहीं होने से वे कुछ भी कर सकते हैं. केवल कानून से ही सब कुछ नहीं होता है हम सभी को देश की सुरक्षा के बारे में सोचना ही होगा क्योंकि उसके बिना कहीं से भी कुछ भी सही नहीं चल सकता है. पर हम आम नागरिक और हमारी सरकारें भी किस तरह से काम करती हैं यह किसी से भी छिपा नहीं है तो आतंक के ख़िलाफ़ आख़िर कैसे कुछ किया जा सकता है ?  
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

5 टिप्‍पणियां:

  1. देशद्रोह और आतंक के त्वरित मुक़दमें चलाकर फाँसी पर लटका देना चाहिए |हृदयस्पर्शी रचना है |मैं आपसे सहमत हूँ |
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  2. बिलकुल सही कहा.... ऐसे लोगो को खतरनाक से खतरनाक सजा देनी चाहिए....

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  3. हम लोग कल से मोमबत्तियां जलाना प्रारम्भ कर देते हैं. नारा लगाने लगते हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता. आतंकवाद का नाश हो. आतंकवाद की घोर निन्दा की जाती है. पोटा और टाडा जैसे कानूनों की कोई आवश्यकता नहीं थी. कोई बात नहीं कि आतंकी सजा होने के बाद भी जेल में बैठे हुये हैं. फाइल तो नम्बर से ही आगे बढ़ेगी..
    इससे आतंकवाद खत्म हो जाता है तो बहुत अच्छी बात है.

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  4. क्या कर लेंगे हम ? कसाब आज तक सरकारी खर्च पर ऐश कर रहा है और हम बुलेटप्रूफ जैकिट में भी अधिक से अधिक भ्रष्टाचार कर अपने ही देश के करकरे जैसे जांबाज सिपाहियों को आगे बढकर मौत के मुंह में झोंक रहे हैं ।

    चाहत की कीमत


    तर्क और तकरार

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