मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 15 जून 2011

उ०प्र० में पुलिस

    जिस तरह से माया सरकार पिछले ४ वर्षों से जन समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर ध्यान न देकर केवल स्मारकों पर ही ध्यान दे रही है और पूरी प्रशासनिक व्यवस्था एक तरह से चंद अफसरों के हाथों में ही सिमटी हुई है पूरा प्रदेश आज उसका खामियाज़ा भुगत रहा है ? यह सरकार पूरे वर्ष तो सोती रहती है और अचानक ही इसे जनता की याद आ जाती है और शुरू हो जाता है सरकारी तंत्र का नाटक कि अब स्वयं सीएम खुद मौके पर जाकर भौतिक स्थलीय सत्यापन करेंगीं ? आज तक ऐसे किसी भी नाटक से किसका फायदा हुआ है यह तो सरकार ही बता सकती है पर पूरे वर्ष प्रदेश में सरकार के होने का कोई एहसास आम आदमी को नहीं हो पाता है. ताज़ा मामले में लखीमपुर खीरी जिले में १४ साल की लड़की के साथ ज़बरदस्ती की गयी और उसकी हत्या कर दी गयी ये सारा काम निर्माणाधीन थाना परिसर में हुआ. वैसे तो इस तरह के अपराध को रोका नहीं जा सकता पर जिस तरह से इसमें पुलिस की संलिप्तता थी वह शर्मनाक है.
      पूरे मामले को जानते हुए भी जिले के पुलिस प्रमुख ने जिस तरह से अपने लोगों को बचाने की निरर्थक कोशिश की वह मामले को और भी संदिग्ध बना देती है. पता नहीं कैसे इतने बड़े पदों पर पहुंचे अधिकारी यह समझने में चूक जाते हैं कि नेता अपने काम निकलने तक ही साथ दे सकते हैं और वही हाल उनका भी हुआ और अपने तबादला लेकर वे लखीमपुर छोड़ चुके हैं ? जिस तरह से मामला उछलने के बाद भी राज्य सरकार ने कार्यवाही करने में देरी और लापरवाही की वह चिंता जनक है ? अगर ऐसी घटना किसी दलित लड़की के साथ हुई होती तो प्रमुख सचिव, गृह सचिव, और पुलिस महानिदेशक उड़न खटोले में बैठकर तुरंत पहुँच जाते पर यह मामला दलित से जुड़ा नहीं था तो सरकारी अफसरों की रफ़्तार भी कम ही रही ? नारों में यह सरकार सर्वजन की बातें करने में नहीं चूकती है पर जिस तरह का भेद भाव वो करती रहती है यह अब किसी से भी छिपा नहीं है.
      इस तरह के किसी मामले में दोषियों को छोड़ने का मतलब ही नहीं बनता है पर जब भी ऐसा कुछ होता है उसमें राजनीति हावी हो जाती है और आगे से ऐसा रोकने के बारे में कुछ भी ठोस नहीं किया जाता है जिससे इस तरह की घटनाएँ लगातार बढती ही जाती हैं ? अगर सरकार की मंशा साफ़ है तो उसे खुद ही पूरे मामले की जांच केन्द्रीय जांच एजेंसी से करवा लेनी चाहिए क्योंकि तब विपक्षियों के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा और मामले की जांच भी हो जाएगी. पर लड़की के मुस्लिम होने से और चुनावी वर्ष होने के कारण कोई भी दल इस मामले में अपने को पीछे नहीं दिखाना चाहता है और सभी मिलकर माया सरकार पर हमला करने में लगे हुए हैं. अच्छा हो कि इस तरह की घटिया राजनीति सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही बंद करके इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए कड़े कानून बनाने के प्रयास करें क्योंकि जब तक कड़ी सजा का प्रावधान नहीं होगा इस तरह की घटनाएँ रोकने में सफलता नहीं मिलेगी.           
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