मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

चीन का अपना दर्द ?

     चीन के शिनजियांग प्रान्त में हुए आतंकी हमलों में २० लोगों के मारे जाने के बाद पहली बार उसकी प्रांतीय सरकार ने पाक पर यह आरोप लगाया कि उसके यहाँ ये हमले करने में पाक के आतंकी शिविरों में प्रशिक्षण पाए आतंकियों का हाथ है. इस तरह का आरोप भारत हमेशा ही अपने यहाँ की हर आतंकी गतिविधि के बाद लगाता रहा है पर कभी भी चीन या अमेरिका ने इस आरोप को गंभीरता से नहीं लिया और पाकिस्तान की आँख मूंदकर हमेशा ही सहायता की. अब जब पहली बार चीन की ख़ुफ़िया एजेंसियों को पाक का हाथ इन आतंकी गतिविधियों में दिखाई देने लगा है तो यह भारत के हित में ही है क्योंकि अभी तक जो कुछ भी किया जा रहा था वह भारत के खिलाफ जा रहा था और दुनियाके देश अमेरिका के दबाव के चलते कुछ भी बोलने में भी संकोच किया करते थे. 
   आज जो कुछ हुआ है या चीन ने जो कुछ महसूस किया है उसके बाद निश्चित तौर पर पाक के लिए मुसीबतें बढ़ने वाली हैं क्योंकि ओसामा के पाक में मारे जाने के बाद से पाक पूरी दुनिया के सभी आतंक प्रभावित देशों के रडार पर तो आ ही गया था और अब अगर चीन से इस तरह की बातें सामने आ रही हैं तो यह पाक के लिए बहुत बड़ा संकट लेकर भी आ सकता है क्योंकि चीन भारत नहीं है जो हर तरह की आतंकी गतिविधि को झेलने के बाद भी चुप बैठा रहे और संयम से काम ले ? अब अगर इतने से भी चीन नहीं संतुष्ट होता है तो किसी दिन पूरी दुनिया यह भी देखेगी कि चीन के बमवर्षक विमानों ने पाक में घुसकर वहां चल रहे आतंकी शिविरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. वैसे भी चीन अपने हितों के आगे किसी की भी नहीं सुनता है और चीन ने भारत के साथ जिस तरह से ६० के दशक में व्यवहार करने के बाद पूरी ताकत से हमला किया था उससे यह बात तो साबित ही होती है कि वह किसी को भी अपना स्थायी मित्र या शत्रु नहीं मानता है.
          जब भारत यह बात कहा करता था तो चीन की समझ में यह बात नहीं आती थी और वह पाक के आतंक परस्त नेताओं को अपने यहाँ बुलाकर तरह तरह के रक्षा सौदे करने से भी नहीं चूकता था और अब जब वही सब उसके साथ हो रहा है तो उसकी बोलती बंद हुई जा रही है और पहली बार उसने यह स्वीकार किया है कि पाक उसके यहाँ भी गड़बड़ी करने में दिलचस्पी ले रहा है. अगर देखा जाये तो भारत के लिए यह स्थिति दोनों तरह के लाभ या हानि लेकर आ सकती है क्योंकि जब चीन का दबाव बनेगा तो पाक इन आतंकियों को भारत में घुसने के लिए कह सकता है या फिर चीन अचानक ही हमला करके इन शिविरों को नष्ट कर दे जिससे बड़ी संख्या में आतंकी मारे जाएँ और उनका पूरा तंत्र ही कुछ समय के लिए चरमरा जाये ? फिलहाल भारत को यह अपने स्तर से विचार कर के ही आगे की रणनीति के बारे में कुछ ठोस कार्य योजना बनाकर रखनी चाहिए क्योंकि पाक से आतंकियों को सबसे आसानी से अफ़गानिस्तान या भारत में ही भेजा जा सकता है. चाहे जो भी हो पर पहली बार चीन ने भारत के उस दर्द को सही मायने में महूस किया है जो भारत कई दशकों से झेलता आ रहा है. अब यह भारत के पक्ष में रहेगा या विपक्ष में यह तो समय ही बता पायेगा.      
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. उम्मीद है, चीन को अब समझ आने लगा होगा कि जिन पाकिस्तानियों को मित्रता के नाम पर अपने यहां खुशी खुशी घुसड़ने देता आ रहा है वो, वे परजीवी मात्र हैं.

    पीछे पाकिस्तान में, उनके पास बाज़ार तो ज़रूर होगा पर वे तब तक कुछ नहीं ख़रीद सकते जब तक उन्हें माल खरीदने के पैसा ख़ैरात में न दिया जाए.

    चीन को ये भी समझ जाना चाहिये कि जिस अमरीका के डर से उसने पाक को परमाणु बाम्ब दिया है वही वो उसे आतंकवादियों के हाथ चीन भी/ही पहुंचा सकता है.

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