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मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

सिम और सुरक्षा

देश में एक तरफ जहाँ सुरक्षा एजेंसियां विभिन्न तरीकों से देश को सुरक्षित करने की कोशिश करने में लगी हुई हैं वहीं कुछ निजी मोबाइल ऑपरेटर सुरक्षा मामलों में रोज़ ही नियमों की अनदेखी कर रहे हैं जिससे पूरे देश की सुरक्षा ख़तरे में पड़ती जा रही है. आज जिस तरह से आतंकी तकनीकि का उपयोग करके लगातार हमले करने से पीछे नहीं नहीं हट रहे हैं ऐसे में इस तरह की कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है जिस तरह से नयी दूरसंचार नीति की घोषणा को प्रस्तुत किया गया है उससे यही लगता है कि वहां पर भी सुरक्षा के इस मुद्दे को ध्यान में नहीं रखा गया है. अभी तक नया सिम खरीदने के लिए उपभोक्ताओं से पहचान पत्र और फोटो ली जाती थीं पर अब यहाँ पर सक्रिय तंत्र ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है वे तहसील से पहचान पत्र के दस्तावेज़ निकलवा कर पते और फोटो आदि की जानकारी जुटाने में माहिर हो चुके हैं जिससे लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि उनके नाम से कहीं पर कोई सिम निकला गया है और बाद में इसका दुरूपयोग होने पर इस ग़लत दिशा में जांच करने से कुछ भी हासिल नहीं हो पाता है.
        इस पूरे मसले में जहाँ ऑपरेटर अपने राजस्व और नेटवर्क पर ही ध्यान देना चाहते हैं वह देश के बड़ा खतरा  बन रहा है क्योंकि इस तरह की कमी का लाभ उठाकर आतंकी किसी कि जगह से सिम खरीद सकते हैं. किसी बड़ी योजना के तहत डीलर को यह बताया जाता है कि इतने सिम बेच लेने पर उसे यह मिल जायेगा तो बस यहीं से यह खेल शुरू हो जाता है और आम लोगों की जानकारी का लाभ उठाकर ये लोग पूरी तरह से सुरक्षा से खिलवाड़ करने लगते हैं.  खास बात यह है कि इस पूरे खेल में डीलर के साथ कम्पनी भी बराबर की दोषी होती है क्योंकि उसे पता है कि ये सिम किस तरह से बिक रहे हैं सही पता न होने पर कम्पनी तीन दिन में ये सिम बंद तो कर देती है पर इस बीच में जो खतरा बना रहता है उससे कैसे निपटा जाये ? सबसे पहले तो प्री एक्टिवेशन को बंद किया जाना चाहिए क्योंकि इन सिमों पर सारी सुविधा होने से सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है और केवल योजना के तहत सिम भी बिक जाते हैं पर इस तरह के सिम का ५ मिनट में ही दुरूपयोग किया जा सकता है जिससे बाद में बड़ी समस्या हो जाया करती है.
     अब समय आ गया है कि इस मामले में सीबीआई और एनआईए को लगाया जाये साथ ही दूरसंचार, रक्षा और गृह मंत्रालय को ट्राई से मिलकर इस समस्या का समाधान निकलना ही होगा क्योंकि भ्रष्टाचार का यह छोटा सा नमूना किसी दिन देश के लिए बहुत बड़ा सर दर्द बन सकता है. किसी भी स्थिति में नए सिम पर सारी सुविधाए नहीं होनी चाहिए क्योंकि इन सुविधाओं के कारण ही इनका दुरूपयोग होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं.  आज की तारीख़ में जितने भी सिम चल रहे हैं उनकी फिर से पूरी जांच करवाई जानी चाहिए और एक समान पते वाले सिम वाले सभी लोगों से फिर से पहचान पत्र और फोटो मांगी जानी चाहिए जिससे यह पता चल सके कि कितने सिम फर्जी तरह से चल रहे हैं क्योंकि उपभोक्ता अपने सिम के अतिरिक्त और फर्जी सिम के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ होता है इसलिए एक नीति के तहत सेवा प्रदातों पर यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि वे अपने इस तरह से फर्जी बेचे गए सिम कार्डों पर सख्ती करे जिससे देश की सुरक्षा पर खतरा न आ सके.        

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