मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

मिसिंग इन कश्मीर

       कश्मीर से जुड़ी हर बात पर वहां के लोगों और राजनैतिक दलों को हल्ला मचाने की आदत सी हो गयी है अभी जल्दी में ही हर साल की तरह मिसिंग लोगों को लेकर एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें स्वाभाविक तौर पर भारत विरोधी नारे लगाये गए जिनका आज के समय में कोई मतलब नहीं रह गया है भारत और भारतीय सुरक्षा बलों के कारण शांति से रह रहे कश्मीरियों को यही लगता है कि भारत ही उनका दुश्मन है जबकि भारत के बिना आज उनके लिए जीना लगभग नामुमकिन है. कश्मीर से गायब होने वाले युवाओं के बारे में एक दुष्प्रचार यह किया जाता है कि उन्हें सेना और सुरक्षा बलों ने मार डाला है जबकि वास्तविकता यह है इनमें से बहुत सारे युवा भारत विरोधी अभियान का हिस्सा बनने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में गए और जहाँ से आतंकियों ने उन्हें प्रशिक्षित करने के बाद कहाँ भेज दिया यह कश्मीर में आज कोई नहीं जनता है बस हर गायब होने वाले व्यक्ति का ठीकरा भारत की सेना पर फोड़ दिया जाता है ?
           क्या कश्मीर में कोई इस बात का जवाब दे सकता है कि वहां पर पूरा एक समुदाय ही मिसिंग है उसका क्या ? जिन लोगों को कुछ युवाओं के झूठे ग़ायब होने पर इतनी दिक्कत होती है उन्हें यह क्यों नहीं दिखाई देता कि पूरी घाटी से कश्मीर की असली पहचान बनाने वाले कश्मीरी पंडित कहाँ और कैसे हैं ? कुछ लोगों के ग़ायब होने पर इतना हो हल्ला पर पूरे समाज के ग़ायब होने पर इस तरह की चुप्पी ? क्यों इस तरह से हर व्यक्ति अपने तक ही सोचना चाहता है ? अगर कश्मीर के हालत बिगड़े तो उसके लिए पाकिस्तान और आम कश्मीरी ही ज़िम्मेदार हैं क्योंकि अगर कश्मीर किसी भी तरह से भारत के साथ नहीं रह सकता है तो उसके लिए जीने के लिए और क्या रास्ते बचते हैं ? वहां पर पाकिस्तान ने इस्लाम के नाम पर वहां पर जो खून ख़राबा फैलाया आज भी उससे कश्मीर उबर नहीं पाया है और शायद पाकिस्तान का समर्थन करने वाले ये लोग यह समझ भी नहीं पायेगें कि पाक के साथ जीना कितना भयावह होगा ? आज भी अगर किसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी के तहत पाक में पूछा जाये तो पाक का वर्तमान स्वरुप ही ख़त्म हो जायेगा क्योंकि वहां पर केवल इस्लाम के नाम पर ही लोग साथ में हैं बल्कि उस में भी मस्जिदों तक पर नमाजियों पर हमले किये जाते हैं ?
      भारत को पाक के इस तरह के दुष्प्रचार को सुनने की आदत सी हो गयी है फिर भी कश्मीर या पाक में बैठे लोग आज तक यह समझ नहीं पाए हैं कि कश्मीर का भविष्य किस जगह सुरक्षित है ? कश्मीर का जो हिस्सा पाक के कब्ज़े में है उसकी क्या हालत है यह सभी जानते हैं वह एक तरह से आतंकियों के लिए शरण स्थली बना हुआ है अगर पाक ने उस हिस्से पर ध्यान दिया होता तो वह भी भारतीय कश्मीर जैसा ही विकसित होता. आज चीन के अपने हितों के कारण द्विपक्षीय समझौते के बाद इस हिस्से में कुछ जगहों पर काम चल रहा है जिससे विकास की कुछ बयार वहां भी पहुंची है. पाक ने अधिकृत कश्मीर को अपनी जागीर समझा है और कभी भी वहां के लोगों को किसी भी तरह की स्वतंत्रता नहीं दी है जबकि उसका नाम वह आज़ाद कश्मीर देता है पर जिस तरह की ग़ुलामी में वहां के लोग जी रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं है. आज दुनिया भर से लोग श्रीनगर घूमने आते हैं पर पीओके में कितने लोग जाते हैं यह बात सभी को पता है और अगर आम कश्मीरी पाक के चंगुल से बाहर आ जाये तो वहां का पर्यटन उद्योग फिर से पहले की तरह फल फूल सकता है और लोगों की जिंदगी फिर से संवर सकती है. पर अपनी गलतियाँ दूसरों के सर मढ़ने की आदत से क्या कश्मीरी कभी पीछा छुड़ा पायेगें ?     
 
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