मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

दीवाली और दुर्घटनाएं

    दीवाली आने के साथ ही जहाँ लोगों में खुशियों के साथ इसे मनाने की चाह होती है वहीं पटाखों के अवैध व्यापार को बहुत तेज़ी से चलाने वाले भी इस बीच सक्रिय हो जाते हैं जिससे देश के कई हिस्सों में लगातार दुर्घटनाएं होती रहती है जिससे कीमती जान माल का नुकसान भी होता रहता है. इस मामले में जहाँ एक ओर सख्त नियम हैं वहीं इनको तोड़ने वाले भी इसकी काट ढूंढ कर पहले से ही रखते हैं. पूरे देश में अवैध रूप से चलने वाली पटाखा फैक्ट्री पर रोक लगाने का काम स्थानीय प्रशासन और पुलिस का होता है पर जिस तरह से पुलिस में भ्रष्टाचार बढ़ा हुआ है उससे वह अपनी आदत के हिसाब से पैसे लेकर इस काम को होने देती है जिससे बहुमूल्य जानें जाती रहती हैं ? यहाँ पर सवाल यह है कि आज के समय में कुछ रुपयों पर जान को अधिक महत्त्व दिया जाता है तो समाज किस तरफ़ जा रहा है ? हर व्यक्ति केलिए कुछ रूपये अधिक महत्वपूर्ण हैं न कि किसी आबोद की जान...
   आज भी लोगों में जागरूकता की बहुत कमी है जिससे कहीं से भी कुछ भी ठीक नहीं हो पाता है अब इस बारे में नागरिकों को ख़ुद ही ध्यान देना होगा क्योंकि उनके पास में चलने वाली किसी अवैध फैक्ट्री से उनके लिए भी उतना ही ख़तरा होता है जितना उसे चलाने वालों को क्योंकि उनके पड़ोस में होने वली किसी भी ऐसी गतिविधि में किसी भी समय अनहोनी हो सकती है इसलिए इसकी सूचना पुलिस को तुरंत दी जानी चाहिए. पर जो पुलिस ख़ुद ही इन अवैध व्यापारियों से मिली हुई है वह उनके ख़िलाफ़ कितनी कारगर साबित हो पायेगी यह तो समय ही बताएगा. फिर भी ऐसे अवसरों के लिए पुलिस को सूचित करने के लिए राज्यों की राजधानियों में एक हेल्पलाइन होनी चाहिए जो त्योहारों से पहले बराबर काम करना शुरू कर दिया करे इससे जहाँ स्थानीय पुलिस पर दबाव बनेगा साथ ही लोगों को एक सही जगह पर अपनी बात रखने का मौका भी मिल जायेगा और स तरह के अवैध कारोबार पर रोक लगायी जा सकेगी.
   इस मामले में जो सबसे संवेदनशील बात है वह यह कि प्रशासन और पुलिस की इस तरह की कमी का लाभ उठाकर कोई आतंकी संगठन इन दीवाली के पटाखों में कम तीव्रता वाले बम भी रखवा सकता है जिससे बहुत बड़ी समस्या हो सकती है. इस बारे में पुलिस को सख्ती से काम करना चाहिए क्योंकि एक समय बाद जब यह स्थानीय सामान बाज़ार में आ जाता है तो उसे रोकने का कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा सकता है. आज भी इतनी घटनाएँ होने के बाद भी प्रशासन सोता हुआ ही नज़र आता है क्योंकि हर व्यस्त बाज़ार में बिना सुरक्षात्मक कदम उठाये हुए लोग पटाखे बेचते हुए नज़र आते हैं जिससे पूरे बाज़ार पर किसी भी तरह की सुरक्षा नज़र नहीं आती है. किसी घटना के होने जाने पर कुछ पुलिस कर्मियों को निलंबित किये जाने से समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला है. अब हम नागरिकों को ही इस बात के लिए जागरूक ही होना पड़ेगा जिससे हमारी सुरक्षा खतरे में न पड़ने पाए और हम सुरक्षित दीवाली का आनंद उठा सकें.      

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