देश में रेल का व्यापक संजाल देखते हुए अभी तक कोई भी ऐसी प्रणाली विकसित नहीं हो पा रही थी जिसके माध्यम से यात्री अपने गंतव्य को जाने वाली रेलगाड़ी की सही स्थिति का आंकलन कर पाते और सही सूचना के कारण उनके बिलम्ब से चलने वाली गाड़ी को पकड़ने के लिए देर तक स्टेशन पर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती. आईआईटी कानपुर और रेलवे विकास और अनुसंधान संगठन ने आखिरकार सिमरन नामक प्रोजेक्ट पर काम करके इस मुश्किल का तोड़ भी ढूंढ ही लिया है. सिमरन के माध्यम से जीपीएस आधारित यन्त्र के रेलगाड़ियों में लगने से उनकी सही स्थिति का पता चलने लगा है कि कोई गाड़ी इस समय किस स्टेशन पर पहुँचने वाली है या फिर वह कितनी देरी से चल रही है. अभी तक यह केवल दिल्ली हावड़ा और दिल्ली मुंबई मार्ग पर कुछ विशेष रेलगाड़ियों में परीक्षण के तौर पर लगाया जा रहा है जिसमें बहुत सफलता मिली है.
भारतीय रेल जिस तरह से आज भी सुदूर के क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देती है और उसके पास सूचना देने का वाही पुराना तंत्र काम कर रहा है जसके माध्यम से देर से चलने वाली गाड़ियों की सही सूचना नहीं मिलने का कारण यात्री घंटों पहले से ही स्टेशन पर पहुँच जाया करते है जिससे उनको असुविधा होने के साथ रेल विभाग को भी बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अब सिमरन के सही ढंग से काम करने से यह आशा बलवती हो गयी है कि आने वाले समय में रेल विभाग अपनी चलने वाली गाड़ियों की सही स्थिति की सूचना यात्रियों को दे सकेगा. साथ ही यात्रियों को यह सुविधा भी दी जा रही है कि वे घर बैठे ही सिमरन कि साईट पर जाकर अभी प्रयोग के तौर पर इससे जुडी गाड़ियों कि सही स्थिति का पता लगा सकते हैं. इस प्रोजेक्ट से किसी स्थान पर किसी भी गाड़ी के बिना अनुमति रुकने की सूचना भी नियंत्रण कक्ष को मिलने से खड़ी गाड़ियों में टक्कर होने या दुर्घटना ग्रस्त गाड़ियों से दूसरी गाड़ियों के टकराने की समस्या से भी निजात मिल जाएगी.
रेल के पास जिस तरह के संसाधन और जन शक्ति उपलब्ध है अगर उसका सही ढंग से उपयोग किया जा सके तो आने वाले समय में यात्रियों को बहुत सारी सुविधाएँ दी जा सकती है पर आज के समय में जिस गति से रेलवे को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए उसमें वह पिछड़ रही है इसके पीछे शायद यह सोच काम करने लगी है कि देश में रेल का कोई विकल्प नहीं है और इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. जिस तरह से दिल्ली मेट्रो ने अपनी कार्यशैली से भारत में ही एक नया नजरिया ओर सोच विकसित की है अगर वैसी ही रेल में हो जाये तो देश को बेहतर संसाधन के साथ सरकार को राजस्व देने वाले बहुत बड़े मद की भी शुरुवात हो सकती है. अच्छा हो कि रेल जल्दी ही इस तरह के सभी प्रोजेक्ट्स को प्रायोगिक तौर पर लागू करे जिससे पता चल सके कि किसमें क्या कमी है और उसे भी जल्दी ही दूर करने का प्रयास किया जाये जिससे भारत में रेल यात्रा सुरक्षित और आरामदायक बन सके.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
दिशानिर्धारण की दिशा में बड़ा उपयोगी आलेख।
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