मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

दिल्ली फिर ख़तरे में

आई बी की कुछ रिपोर्टों के अनुसार एक बार फिर से दिल्ली आतंकियों के निशाने पर है और सीमा पार से लश्कर समेत अन्य आतंकी संगठनों के आतंकी घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं. इस सूचना के बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है और कुछ खास ठिकानों समेत दिल्ली समेत देश के अन्य शहरों में कड़ी ख़ुफ़िया चौकसी करने का आदेश भी दे दिया गया है. इस तरह से देश के बड़े शहर और दिल्ली हमेशा से ही आतंकियों के निशाने पर रहा करते हैं पर जिस तरह से आतंकियों के मंसूबों को इधर कुछ दिनों से विफल करने में सुरक्षा बलों को सफलता मिलती रही है उससे इनमें हताशा का माहौल घर करता जा रहा है जिस कारण से ये कहीं पर भी कुछ भी करने के लिए तैयार दिखाई देते हैं. अब यह हम सभी को देखना है कि आतंकियों को कहीं से भी पूरा अवसर नहीं मिलना चाहिए.
   जिस तरह से ये सूचनाएँ भी सामने आ गयी हैं उससे यही लगता है कि आने वाले समय में आतंकियों के हमले हो सकते हैं क्योंकि वे आज भी यह दिखाना चाहते हैं कि आज भी उनका वजूद है और वे जहाँ चाहें वहां पर कुछ भी कर सकते हैं. जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में घाटी में इन आतंकियों ने हताशा में हमले किये उसके बाद यह तो लगने लगा है कि अब किसी भी हद तक जाने को तैयार बैठे हुए हैं. ऐसी किसी भी स्थिति में हम आम नागरिकों की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है क्योंकि इस तरह के हमलों में सबसे ज्यादा नुक्सान हमारा ही होता है भले ही वह सार्वजनिक संपत्ति की बात हो या फिर हमारी अपनी जान माल सबसे ज्यादा आम नागरिक ही ख़तरे में रहा करता है. ऐसी स्थिति में हमारी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि हम कहीं न कहीं से यह भी सीखें कि अपने आस पास की गतिविधियों पर कैसे नज़र रखी जाये जिससे वे हमारे लिए बड़ी घटना बनने से पहले ही रुक जाएँ.
   आज जिस तरह से आतंकी रोज़ ही नए नए तरीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं उससे आतंकी हमलों के ख़तरे बढ़ते ही जा रहे हैं. सबसे पहले हमें यह ध्यान देना होगा कि हमारे इलाक़े में कौन कौन से नए लोग आ जा रहे हैं और उनकी गतिविधियाँ कहीं से संदिग्ध तो नहीं हैं ? इन बातों पर नज़र रखने से ही हम यह जान पायेंगें कि इनमें से कोई संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं है जो आने वाले समय में हमारे लिए कोई परेशानी का कारण तो नहीं बनने वाला है ? जिस तरह से ये आतंकी किसी स्थानीय व्यक्ति का सहारा लेकर ही हमले किया करते हैं उससे यही लगता है कि हमारे में से कोई ही इनकी सहायता करता है जिससे ये व्यापक तबाही मचाने में सफल हो जाया करते हैं. इसके साथ ही पुलिस को भी नागरिकों के और करीब लाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जब तक नागरिकों और पुलिस में बेहतर तालमेल नहीं होगा तब तक सब कुछ ठीक नहीं हो सकता है.   

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