मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

अग्नि-५ और सुरक्षा

    जिस तरह से देश के लिए रोज़ नए सुरक्षा ख़तरे बढ़ते ही जा रहे हैं उनके बीच हमारे रक्षा वैज्ञानिकों द्वारा मिसाइल कार्यक्रम में निरंतर प्रगति करना देश की सुरक्षा के लिए शुभ संकेत है. भारत जिस तरह की भौगोलिक परिस्थिति में है उसमें उसके लिए अपनी सुरक्षा चिंताओं के बारे में गहन विचार किये जाने की बहुत आवश्यकता है. यह अच्छा ही है की बिना किसी शोर शराबे के  मनमोहन सरकार ने देश की सीमाओं और अन्दर भी सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. आज जिस तरह से पाक चीन गठजोड़ काम कर रहा है और इस्लामी चरम पंथी पाक पर कब्ज़ा ज़माने की हर संभव कोशिश करने में लगे हुए हैं उसके बार भारत को चेत जाने की ज़रुरत थी. भारत ने अपने मिसाइल कार्यक्रम को जिस तरह से चरण बद्ध योजना के रूप में शुरू कर रखा है उसके बाद सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं अवश्य ही कम हुई है. ऐसा नहीं है कि इन मिसाइलों का प्रयोग बहुत आसानी से किया जाने वाला है फिर भी जब दुश्मन देश को पता है कि भारत भी इस तरह की शक्ति से सुसज्जित है तो वह ऐसे किसी भी हमले से पहले १०० बार सोचने को मजबूर हो जायेगा.
    भारत की सुरक्षा चिंताएं इसलिए भी और बढ़ती हैं क्योंकि चीन का रुख हमेशा से ही अजीब तरह का रहता है एक तरफ़ तो वह बातचीत को आगे बढ़ाने की बातें करता है तो वहीं दूसरी तरह उसे यह लगता है कि भारत पर दबाव बनाये रखने से ही क्षेत्र में संतुलन बना रह सकता है इसलिए वह गाहे बगाहे अरुणाचल और लद्दाख में कुछ कुछ किया करता है. देश के सामने जो कुछ भी है उसके बारे में अभी तक इस स्तर पर विचार ही नहीं किया जा रहा था पर आज जिस तरह से लद्दाख में ३ पुरानी सैन्य हवाई पट्टियों को फिर से नयी ज़रूरतों के हिसाब से तैयार करके सेना के परिवहन के लिए खोल दिया गया है उससे दुर्गम इलाकों में सेना की पहुँच आसान हो गयी है. इसी क्रम में आज ही अरुणाचल प्रदेश में एक पुरानी हवाई पट्टी को ठीक कर इसे परिवहन के लिए सेना के अधिकारी और वहां के राज्यपाल पहुँच कर इसको शुरू करने वाले हैं जिसके शुरू होने के बाद से अरुणाचल की सुदूरवर्ती पोस्ट पर सेना के पहुँचने के समय में कटौती करने में बहुत मदद मिलने वाली है जिसका लाभ किसी भी आपातकालीन परिस्थियों में किया जा सकेगा.
   भारत ने अग्नि के साथ अन्य मिसाइलों के बारे में भी गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है क्योंकि हमारी बढ़ती हुई आर्थिक ताक़त बहुत सारे देशों को रास नहीं आ रही है तो वे हमारा ध्यान सुरक्षा चिंताओं की तरफ़ आने वाले समय में मोड़ सकते हैं जबकि भारत ने इस बारे में अभी से ही काम करना शुरू कर दिया है जो कि हमारे दीर्घकालिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है. जब हम ख़ुद ही सुरक्षित होंगें तभी जाकर अन्य बातों पर ध्यान दे सकेंगें. एक बात औ भी है कि आज हमारे राजस्व संग्रह के बढ़ने के कारण भी सरका के पास इस तरह की गतिविधियों को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद मिली है. अब हमें केवल एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी स्थिति को मज़बूत बनाने की ज़रुरत है क्योंकि जब हम अपने फ़ैसले दृढ़ता के साथ करने के बाद दुनिया के सामने जायेंगें तो हमारा मान सम्मान भी बढेगा और हमारी बातों को प्रभावी ढंग से सुना भी जायेगा. इतने के बाद संतुष्ट होकर चुप बैठने की ज़रुरत भी नहीं है क्योंकि सुरक्षा चिंताएं समय के साथ बदलती रहती हैं और अब हमें इन ज़रूरतों को पहले से ही भांप कर आगे की रणनीति पहले से ही तैयार रखनी होगी तभी हम सही नेतृत्व कर पाने में सफल हो सकेंगें.       
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