मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

गूगल और कर चोरी

 इन्टरनेट क्षेत्र की बड़ी कम्पनी गूगल के लिए लगता है कि अब भारत में ठीक समय नहीं चल रहा है जिस तरह से कपिल सिब्बल के बयान के बाद आयकर विभाग ने इस कम्पनी को कर चोरी के मामले में नोटिस जारी किया है उससे यही लगता है कि इन कम्पनियों और सरकार के बीच कुछ न कुछ गड़बड़ चल ही रही है ? अभी तक गूगल की कमाई उतनी ही मान ली जाती थी जितनी कम्पनी की तरफ से बताई जाती थी पर अचानक ऐसा क्या हुआ है कि सरकार को भी यह लगने लगा कि कहीं न कहीं कर चोरी भी की जा रही है ? सरकार की नीतियों में कमी है या फिर इन नीतियों को लागू करवाने वाले तंत्र में कि हर दूसरे मसले में कर चोरी सामने आ जाती है. अभी तक गूगल किस तरह से कर का भुगतान कर रही थी यह बात अलग है पर अभी तक सरकार के विभागों ने इस ढांचे पर ध्यान देना मुनासिब क्यों नहीं समझा यह चिंता का विषय है. देश में अब किसी भी कम्पनी के लिए काम करने पर कोई रोक नहीं है पर उनकी हर बात को आख़िर सही कैसे माना जा सकता है जबकि हर एक कर चोरी का अवसर मिलने अपर उसका लाभ उठाने से नहीं चूकता है ?
      जिस मंशा से और जिस समय पर आयकर विभाग ने गूगल को नोटिस दिया है वह ग़लत है पर उसने देर से ही सही ठीक काम किया है क्योंकि उसका काम ही देश में आयकर पर नज़र रखने का है फिर भी अभी तक वह किन परिस्थितियों में सोया पड़ा था यह बताने वाला आज कोई भी नहीं है ? अभी तक देश के विभिन्न विभागों का जिस तरह से नेता लोग अपने हितों के लिए इस्तेमाल किया करते हैं उससे यही लगता है कि आने वाले समय में नियम केवल लोगों को परेशान करने के लिए ही बनाये जायेंगें और उनका जमकर दुरूपयोग भी किया जायेगा. देश को इतने कड़े या लचीले कानूनों की आवश्यकता नहीं है पर उसे जो भी कानून हैं उनका अक्षरशः अनुपालन करने वाले लोग तो चाहिए ही हैं क्योंकि बिना इनके आख़िर कोई भी कानून अपनी परिणिति को कैसे पा सकेगा ? कपिल सिब्बल जिस तरह से कानून के बड़े जानकार भी हैं तो उनके किसी काम में किसी के लिए भी कानूनी रास्ता खोजने में तो दिक्कत आने वाली ही है फिर भी अब इस तरह की प्रवृत्ति को सुधारने की आवश्यकता अधिक है क्योंकि कानून ऐसे होने होने चाहिए जिनका अनुपालन करना आसान हो और वहां पर उनके अनुपालन में भ्रष्टाचारियों की कोई भी जगह न हो. कानून से लोगों को सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिले न कि उसका दुरूपयोग चाबुक के रूप में किया जाये.
   अगर गूगल सही है तो उसे अपने काम में पारदर्शिता लानी चाहिए और अगर उसके काम काज में कोई कमी है तो उसे सही ढंग से कर देने चाहिए ऐसा कैसे हो सकता है कि वह अपने लाभ को ग़लत तरीके से बता कर १६० करोड़ से घटाकर केवल ७ करोड़ तक बताने लगे ? आख़िर कहीं न कहीं कुछ तो अवश्य है जिससे यह मसला सामने आया है ? अब लगे हाथ जब इस तरह का मामला उखड़ ही गया है तो नेट के ज़रिये काम करने वाली सभी देशी विदेशी कंपनियों के खातों की गहन जांच होनी ही चाहिए क्योंकि बिना इसके सही तस्वीर सामने नहीं आने वाली है और जब तक आय का सही स्वरुप सामने ही नहीं आएगा तब तक कर का मामला ठीक ढंग से कैसे सुलझाया जा सकता है ? हो सकता है कि सरकार और कपिल सिब्बल के ने यह मसला किसी खुंदक में उठाया हो पर इसी बहाने कम से कम जनता के समाने यह तो स्पष्ट हो गया कि ये बड़ी नामी गिरामी कम्पनियां भी अवसर मिलने पर कर चोरी करने से नहीं चूकती हैं जनता को सही सेवाएं और कर के सही ढाँचे की ज़रुरत है जिससे कर के रूप में जुटाए गए पैसे सरकार के खाते में ही जाएँ उसे कोई नया न खा जाये.  
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

2 टिप्‍पणियां:

  1. har desh kae apnae kanun haen aur unko mannaa chahiyae

    hamari koi bhi company yaa vyakti kisi bhi desh me jataa haen to usko majboor kiyaa jataa haen kanun mannae kae liyae aur sajaa bhi dee jaatee haen
    lekin hamarey yahaan ultaa haen
    yae companiyaan apne desh kae kanun kae hisaab sae chaltee haen aur hamarey yahaan kaa kanun mannae sae inkar kartee haen

    60 saal ki azadi kae baad bhi aesaa lagtaa haen jaese wo hamarey yahaan office khol kar koi ahsaan kar rhaey haen

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