कोलकाता के प्रतिष्ठित अस्पताल में लगी आग़ ने जितनी आसानी से ९० जिंदगियों को लील लिया जो ज़िन्दगी की उम्मीद में वहां पर गयी थीं इससे यही लगता है कि आज भी तमाम सारे उपाय करने और कानून बनाने के बाद भी आम नागरिक की जिन्दगियों से भ्रष्टाचार के दम पर खिलवाड़ किया जा रहा है ? जब भी इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो तमाम सारे सुरक्षा उपायों की बातें की जाने लगती हैं पर जिन विभागों पर इन घटनाओं को रोकने की ज़िम्मेदारी है वे कहीं से भी कुशल नहीं दिखाई देते हैं क्योंकि चंद रुपयों के लालच में वे मानकों की अनदेखी करके अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया करते हैं. देश में भ्रष्टाचार ने कितनी दूर तक अपनी जड़ें जमा ली हैं यह इस तरह की घटनाओं के बाद ही पता चल पाता है क्योंकि किसी कानून से वास्तव में कितना लाभ हुआ यह तो वैसी स्थिति में हमारी उससे निपटने की क्षमता से ही पता चल पायेगा ? एक बार फिर से हमारा तंत्र अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में असफल साबित हुआ है जिस कारण से इतनी ज़िंदगियाँ एक दम से ही ख़त्म हो गयी.
देश में जिस स्तर पर आपदा प्रबंध की बातें होती हैं उस स्तर पर उनका अनुपालन और लोगों तक जागरूकता पहुँचाने का काम नहीं हो पाता है जिस कारण से कड़े कानून होने के बाद भी लोग कुछ भी करने से नहीं चूकते हैं और उसका खामियाज़ा कुछ ऐसे लोगों को भुगतना पड़ता है जो इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं होते हैं. अब इस बात के लिए सरकारी विभागों को अपने को तैयार करना ही होगा जिससे कुछ पैसों के लालच में कोई भी कुछ भी नहीं करने लगे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आख़िर किस तरह से लोगों में यह भावना जगाई जाये कि वे अपने कुछ पैसों के लिए लोगों की ज़िन्दगियों से खिलवाड़ न कर सकें ? देश में जब तक सभी को समन्वय के साथ काम करने की आदत बन जाएगी तो इस तरह की घटनाओं पर काफी हद तक रोक लगायी जा सकेगी. इन प्रमाण पत्रों को जारी करने वालों पर भी कुछ ऐसा नियंत्रण होना चाहिए जिससे केवल कुछ लोग किसी भी तरह से भ्रष्टाचार पहिला कर कुछ भी न करने लगें.
आम जनता को अब भीड़ तंत्र में जीने की आदत से छुटकारा लेना ही होगा क्योंकि जब तक हम किसी भी आपदा के समय अपनी भीड़ वाली मानसिकता से नहीं उबरेंगें तब तक इस तरह की समस्याएं हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी. आम तौर पर भ्रष्टाचार के कारण किसी भी जगह पर मानकों के विरुद्ध कुछ भी होने से रोकने के लिए हम लोगों को ही सजग होना पड़ेगा क्योंकि जब तक हम इन बातों पर ध्यान नहीं देंगें तब तक हम या हमारा परिवार हमेशा ही इस तरह की व्यवस्था में पिसने के लिए अभिशप्त रहेगा. अब यह देखने और समझने का समय आ गया है कि हम इन तरह की स्थिति में किस तरह से खुद को तैयार कर सकते हैं ? अब केवल सरकारी तंत्र के भरोसे रहकर कुछ भी ठीक नहीं हो सकता है और हमें अपनी सुरक्षा के बारे में खुद ही सोचना और समझना होगा..
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
देश में जिस स्तर पर आपदा प्रबंध की बातें होती हैं उस स्तर पर उनका अनुपालन और लोगों तक जागरूकता पहुँचाने का काम नहीं हो पाता है जिस कारण से कड़े कानून होने के बाद भी लोग कुछ भी करने से नहीं चूकते हैं और उसका खामियाज़ा कुछ ऐसे लोगों को भुगतना पड़ता है जो इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं होते हैं. अब इस बात के लिए सरकारी विभागों को अपने को तैयार करना ही होगा जिससे कुछ पैसों के लालच में कोई भी कुछ भी नहीं करने लगे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि आख़िर किस तरह से लोगों में यह भावना जगाई जाये कि वे अपने कुछ पैसों के लिए लोगों की ज़िन्दगियों से खिलवाड़ न कर सकें ? देश में जब तक सभी को समन्वय के साथ काम करने की आदत बन जाएगी तो इस तरह की घटनाओं पर काफी हद तक रोक लगायी जा सकेगी. इन प्रमाण पत्रों को जारी करने वालों पर भी कुछ ऐसा नियंत्रण होना चाहिए जिससे केवल कुछ लोग किसी भी तरह से भ्रष्टाचार पहिला कर कुछ भी न करने लगें.
आम जनता को अब भीड़ तंत्र में जीने की आदत से छुटकारा लेना ही होगा क्योंकि जब तक हम किसी भी आपदा के समय अपनी भीड़ वाली मानसिकता से नहीं उबरेंगें तब तक इस तरह की समस्याएं हमारा पीछा नहीं छोड़ेगी. आम तौर पर भ्रष्टाचार के कारण किसी भी जगह पर मानकों के विरुद्ध कुछ भी होने से रोकने के लिए हम लोगों को ही सजग होना पड़ेगा क्योंकि जब तक हम इन बातों पर ध्यान नहीं देंगें तब तक हम या हमारा परिवार हमेशा ही इस तरह की व्यवस्था में पिसने के लिए अभिशप्त रहेगा. अब यह देखने और समझने का समय आ गया है कि हम इन तरह की स्थिति में किस तरह से खुद को तैयार कर सकते हैं ? अब केवल सरकारी तंत्र के भरोसे रहकर कुछ भी ठीक नहीं हो सकता है और हमें अपनी सुरक्षा के बारे में खुद ही सोचना और समझना होगा..
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
janta ke paas koi vikalp nahi. niyamak kuchh karte nahi.. log yun hi marne ko majboor hain...
जवाब देंहटाएंदुखद और दर्दनाक घटना।
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