सरकार बनने से पहले ही जिस तरह से सपा पर राजनैतिक दुश्मनी निकालने के लिए आरोप लगने शुरू हो गए हैं उसके पीछे कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ अवश्य है. ताज़ा घटना में सीतापुर जनपद में जिस तरह से राजनैतिक प्रतिद्वंदी के समर्थकों के घरों को जलाये जाने की घटना हुई है उसके बाद सपा पर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बड़ा नैतिक दबाव आने वाला है. यह सही है कि पिछली सरकार में जिस तरह से आम लोगों से बसपा के लोगों ने अपने राजनैतिक हिसाब किताब चुकता किये थे उसका असर भी कुछ घटनाओं में देखा जा सकता है. सीतापुर मामले में पुलिस ने इस घटना के राजनैतिक होने से इनकार करते हुए कहा है कि इस मामले में पुराना भूमि विवाद अधिक है और अब इसे सपा के समर्थकों की हरकत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. लगता है अभी तक मुलायम जो सन्देश अपने कार्यकर्ताओं तक पहुँचाना चाहते हैं उसे कार्यकर्त्ता समझ ही नहीं पाए हैं या फिर मुलायम के नाम पर वे कुछ भिकारने को अपना अधिकार समझते हैं ? प्रदेश में कुर्सी भले ही कोई संभाले पर अखिलेश को इस तरह की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगानी ही होगी क्योंकि आने वाले समय में उन्हें यह भी दिखाना होगा कि इस बार की सपा सरकार पिछली सरकारों से कानून व्यवस्था सँभालने में कैसे बेहतर हैं ?
यह सही है कि चुनाव के समय बहुत सारी दुश्मनी हो जाया करती है जिसे निपटाने के लिए प्रभावी लोग अपनी पसंद की सरकार के आने की प्रतीक्षा किया करते हैं और हो सकता है कि इस तरह की घटना में सीधे पार्टी कार्यकर्ताओं का हाथ न हो और किसी ने सपा की सरकार के आने की बात जानकर इस तरह की हरकत की हो ? इस क्षेत्र से चुने जाने वाले विधायक पिछले कई चुनावों से लगातार जीतते आ रहे हैं और क्षेत्र में आज तक उनके समर्थकों ने इस तरह का उत्पात कभी नहीं किया है फिर भी उनके क्षेत्र की घटना है और इस मामले में उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी भी बनती है कि वे मौके पर जाकर वस्तु स्थिति की समीक्षा करें और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही सुनिश्चित करवाएं. भले ही यह राजनैतिक विवाद हो या भूमि विवाद इस तरह की स्थितियों को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में यह ही लगता है कि मुलायम सिंह के नाम पर उनके कार्यकर्ताओं में किस तरह का जोश आता है और वे किसी भी हद तक जा सकते हैं ? प्रदेश को उनकी इस छवि और छाया से निकालने के लिए भी अब अगर अखिलेश को प्रदेश की बागडोर सौंपी जाती है तो यह प्रदेश के लिए ही अच्छा होगा.
प्रदेश में होली पर इस तरह से राजनैतिक दुश्मनी निकालने की पुरानी परंपरा रही है और जब एक दिन पहले ही यह पता चला हो कि अबकी सरकार भी बनने वाली है तो अनुशासन में रहने की बात पूरी तरह से अपनाई नहीं जाती है. ऐसा नहीं है कि इस तरह की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता निकालने कि लिए किसी अन्य दल के लोग ऐसा नहीं करते हैं पर सपा पर ऐसे आरोप उसकी पुरानी छवि के कारण ही लगते रहते हैं. अच्छा है कि वर्तमान में सीतापुर के पुलिस अधीक्षक की छवि तेज़ तर्रार अधिकारी की है और उन्होंने मेरे गृह नगर लहरपुर में अपनी कार्यशैली के दम पर दशकों से पुराने पुलिस थाने की भूमि पर से अवैध कब्ज़े भी हटवाये हैं. आशा है कि उनके नेतृत्व में जो भी जांच होगी व निष्पक्ष होगी और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी. सीतापुर जनपद की ९ सीटों में से ७ पर सपा ने जीत हासिल की है और ऐसी स्थिति में उसकी ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि वह अपने अति उत्साही समर्थकों को इस तरह की किसी भी अप्रिय स्थिति से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम समय रहते उठाये क्योंकि १२ मार्च के शपथ ग्रहण से ही उसकी राजनैतिक परीक्षा शुरू होने वाली है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
यह सही है कि चुनाव के समय बहुत सारी दुश्मनी हो जाया करती है जिसे निपटाने के लिए प्रभावी लोग अपनी पसंद की सरकार के आने की प्रतीक्षा किया करते हैं और हो सकता है कि इस तरह की घटना में सीधे पार्टी कार्यकर्ताओं का हाथ न हो और किसी ने सपा की सरकार के आने की बात जानकर इस तरह की हरकत की हो ? इस क्षेत्र से चुने जाने वाले विधायक पिछले कई चुनावों से लगातार जीतते आ रहे हैं और क्षेत्र में आज तक उनके समर्थकों ने इस तरह का उत्पात कभी नहीं किया है फिर भी उनके क्षेत्र की घटना है और इस मामले में उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी भी बनती है कि वे मौके पर जाकर वस्तु स्थिति की समीक्षा करें और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही सुनिश्चित करवाएं. भले ही यह राजनैतिक विवाद हो या भूमि विवाद इस तरह की स्थितियों को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में यह ही लगता है कि मुलायम सिंह के नाम पर उनके कार्यकर्ताओं में किस तरह का जोश आता है और वे किसी भी हद तक जा सकते हैं ? प्रदेश को उनकी इस छवि और छाया से निकालने के लिए भी अब अगर अखिलेश को प्रदेश की बागडोर सौंपी जाती है तो यह प्रदेश के लिए ही अच्छा होगा.
प्रदेश में होली पर इस तरह से राजनैतिक दुश्मनी निकालने की पुरानी परंपरा रही है और जब एक दिन पहले ही यह पता चला हो कि अबकी सरकार भी बनने वाली है तो अनुशासन में रहने की बात पूरी तरह से अपनाई नहीं जाती है. ऐसा नहीं है कि इस तरह की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता निकालने कि लिए किसी अन्य दल के लोग ऐसा नहीं करते हैं पर सपा पर ऐसे आरोप उसकी पुरानी छवि के कारण ही लगते रहते हैं. अच्छा है कि वर्तमान में सीतापुर के पुलिस अधीक्षक की छवि तेज़ तर्रार अधिकारी की है और उन्होंने मेरे गृह नगर लहरपुर में अपनी कार्यशैली के दम पर दशकों से पुराने पुलिस थाने की भूमि पर से अवैध कब्ज़े भी हटवाये हैं. आशा है कि उनके नेतृत्व में जो भी जांच होगी व निष्पक्ष होगी और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी. सीतापुर जनपद की ९ सीटों में से ७ पर सपा ने जीत हासिल की है और ऐसी स्थिति में उसकी ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि वह अपने अति उत्साही समर्थकों को इस तरह की किसी भी अप्रिय स्थिति से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम समय रहते उठाये क्योंकि १२ मार्च के शपथ ग्रहण से ही उसकी राजनैतिक परीक्षा शुरू होने वाली है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आगे देखते हैं क्या होता है.
जवाब देंहटाएं