मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

अब हाफिज़ सईद ?

      अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज़ सईद पर एक करोड़ डालर का ईनाम घोषित करके भारत की उस बात की पुष्टि कर दी है कि पाक हमेशा से ही चरमपंथियों को अपने यहाँ भारत के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए शरण देता रहता है फिर भी अभी तक न तो पाक ने और न ही अमेरिका ने इस मसले पर व्यापक सबूत होने के बाद भी कोई ध्यान दिया था ? अब अमेरिका द्वारा सईद को आतंकी मान कर उस पर ईनाम घोषित करने से पाक के लिए नयी तरह की मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं क्योंकि अब पाक पर इनके ख़िलाफ़ कार्यवाही करने का दबाव बढ़ने वाला है. अमेरिका का यह क़दम बिलकुल सही है क्योंकि बिना इस तरह की घोषणा के पाक यह मानने को तैयार ही नहीं था कि कहीं से भी सईद आतंकी गतिविधियों में लिप्त है. धार्मिक स्थलों का जिस तरह से आतंकियों की पौध तैयार करने में दुरूपयोग पाक में किया जा रहा है उसका भी खुलासा होना स्थायी शांति के लिए बहुत आवश्यक है पर अभी तक जो कुछ भी किया जा रहा है उससे ज़मीनी हालात बहुत बदलने की सम्भावना बिलकुल भी नहीं है.  
       अमेरिका की इस घोषणा के बाद पहले तो सईद ने यह बयान दिया कि वह गुफा में नहीं छिपा है पर उसके इस बड़बोले बयान और अमेरिका की घोषणा के बाद पाक पुलिस अधिकारियों ने सईद से फिलहाल लाहौर छोड़कर जाने के लिए कह दिया है और उसने अपने घर को छोड़ भी दिया है उससे यही लगता है कि आने वाले समय में पाक पर यह दबाव और अधिक काम करने वाला है पर अभी तक भारत के हर सबूत को पाक ने नकारने का काम ही किया है उससे क्या साबित होता है ? आने वाले समय में पाक सईद पर कोई कार्यवाही करेगा अभी यह नहीं कहा जा सकता है पर उसके द्वारा की जाने वाली कोई भी कार्यवाही केवल खानापूरी ही होगी क्योंकि उसके अधिकारियों ने सईद से जिस तरह से लाहौर छोड़कर जाने को कहा इससे यही पता चलता है कि पाक के शासकों में इतना दम नहीं बचा है कि वे सईद पर कोई कार्यवाही कर सकें ? अगर पाक आतंक के ख़िलाफ़ किसी भी लड़ाई में अमेरिका के साथ वास्तव में है तो उसे तुरंत ही सईद को हिरासत में लेना चाहिए था पर उसकी इन चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अब कुछ करने की हिम्मत ही नहीं बची है और वे आज अमेरिका को ललकार रहे हैं तो कल पाक सरकार को भी ललकारने लगेंगे तब जाकर उन्हें भी ओसामा की तरह मरवा देने में पाक सरकार अमेरिका की मदद कर देगी ?
         पाक सरकार और अमेरिका के बीच एक बार फिर से नाटो की आपूर्ति के बारे में बात चल रही है और सईद पूरे पाक में अमेरिका को पाक से किसी भी तरह की रियायत देने के पूरी तरह से ख़िलाफ़ माहौल बनाने में लगा है क्योंकि उसे लगता है कि पहली बार वे अफगानिस्तान में नाटो सेना पर इस बहाने से दबाव बनाने में कामयाब हो पाए हैं ? पाक सरकार अपने लालच के चलते एक बार फिर से अमेरिका के साथ सम्बन्ध उसी स्तर पर बहाल करना चाहती है और सईद जैसे लोग उन संबंधों की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करने में लगे हुए हैं क्योंकि पाक में अमेरिका कि उपस्थिति उनको कभी भी ओसामा जैसी हालत तक पहुंचा सकती है. अब यह अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों को तय करना है कि पाक की इस तरह की हरकतों को देखते हुए क्या उन्हें भारत की बातों पर अब यकीन करना भी है या अभी भी पाक के इस तरह के चरमपंथियों की तरफ से आँखें बंद ही रखनी हैं ? भारत हमेशा से ही कश्मीर और पंजाब समेत देश के अन्य भागों में आतंकी हिंसा में पाक के हाथ होने के बहुत सारे सबूत दुनिया को दे चुका है पर इससे अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है. अब फिलहाल अमेरिका के इस क़दम से पाक के लिए नयी मुश्किलें शुरू होने वाली हैं क्योंकि सईद ओसामा नहीं है और वह लाहौर में बैठकर सरकार की नाक के नीचे अभी तक काम करता रहा है अब पाक के लिए उसकी अनदेखी करना उतना आसान नहीं होगा और साथ ही सईद जैसे लोग भी अमेरिका के ख़िलाफ़ पाक की जनता को भड़काने की अपनी नीति को खुलेआम चालू रखने वाले हैं.        
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