मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 3 जून 2012

सियाचीन का मुद्दा

       पाकिस्तान के रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने एक बार फिर से सियाचीन का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि यह मसला दोनों देशों के राजनैतिक लोग हल करना चाहते हैं पर इसमें दोनों देशों की सेनाएं बाधा बनी हुई हैं उसमें कहीं से भी सच्चाई नहीं है क्योंकि इस बर्फीले रेगिस्तान में भारत को १९९८४ में सेना सिर्फ़ इसलिए तैनात करनी पड़ी थी क्योंकि इस सामरिक महत्त्व की चोटी पर पाक ने अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने और चीन के साथ गठजोड़ बनाकर भारत को परेशान करने की एक कोशिश की थी. आज जब इस जगह पाक ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को खो दिया है तो वह इस स्थान को सेना रहित करवाने की नौटंकी कर रहा है. भारत के लिए इस जगह को खाली करना अब मुमकिन नहीं है क्योंकि जिस तरह से यहाँ से भारत लाभ की स्थिति में है और इसे खाली करने के बाद अगर पाक ने चीन के साथ मिलकर फिर से अपना गन्दा खेल शुरू किया तो भारत के पास आज की लाभ जैसी स्थिति नहीं रह जाएगी. कोई भी सेना इस तरह की सामरिक गलती कभी भी नहीं कर सकती है और ऐसी स्थिति में तो कतई नहीं जब पाक जैसा पड़ोसी उसके पास हो ?
      पाक के मन में भारत के लिए क्या भाव हैं यह पूरी दुनिया भी जानती है ऐसी स्थिति में किसी भी तरह से भारत यह स्थान खाली नहीं करने वाला है क्योंकि पाक किसी भी तरह से विश्वसनीय देश नहीं है और उसने अपनी छवि इतनी खराब कर रखी है कि इस तरह के मामलों में उसका सहयोगी चीन भी उस पर भरोसा नहीं करता है तो भारत जिसे वह अपना दुश्मन मानता है और भारत के ख़िलाफ़ जिन आतंकियों को वह जिहाद के नाम पर भड़काता है वह उसकी इस तरह की बातों पर क्यों भरोसा कर ले ? १९९९ में जिस तरह से पाक ने भारतीय सीमा में घुसकर कारगिल युद्ध को पैदा किया उसके बाद वह यह कैसे समझ रहा है कि भारत की सेना इस बात के लिए राज़ी हो जाएगी की सियाचीन से सैनिकों को हटा लिया जाये ? जब पाक किसी भी अंतर्राष्ट्रीय समझौते और बंधन को मानता ही नहीं है तो आख़िर भारत उस पर किस तरह से इतनी बड़ी बात के लिए भरोसा कर ले जिससे उसके लिए इस तरह का ख़तरा और बढ़ जाए ?
    अगर पाक से आज की तारीख़ में सियाचीन का खर्चा नहीं उठ रहा है तो उसे अपनी वहां से अपने सैनिकों को हटा ही लेना चाहिए क्योंकि यहाँ पर भारत लाभ की स्थिति में है तो वह अपनी सामरिक महत्त्व की जगहों को छोड़कर पाक की चौकियों पर कब्ज़ा करने वाला नहीं है पर यदि भारत ने यह स्थान खाली कर दिया तो कल कोई पाकिस्तानी सेना का सिरफिरा अधिकारी फिर से रात के अँधेरे में यहाँ पर कब्ज़ा करने की कोशिश नहीं करेगा इस बात की गारंटी कौन देगा ? पाक का पूरा वजूद भारत विरोध पर ही टिका हुआ है और इस विरोध को दोस्ती में बदलकर पाक के नेता और सेना कितने दिनों तक जनता को भ्रमित कर पायेंगें यह भी संदेह का विषय है ? इसलिए भारत के लिए सियाचीन से न हटना एक रणनीति है और सेना किसी भी स्थिति में उस स्थिति को नहीं बनाना चाहेगी जिसमें उसे फिर से एक कारगिल जैसा युद्ध लड़ना पड़े जो केवल पाक की बदनीयती के कारण ही हुआ था. इसलिए अब भारत की सेना पर आरोप लगाने के स्थान पर पाक के रक्षा मंत्री को अपनी सेना पर काबू रखने के गुर सीखने चाहिए जिससे इस क्षेत्र में स्थायी शांति आ सके.    
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. पाक का पूरा वजूद भारत विरोध पर ही टिका हुआ है .... Be careful India !

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