मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 18 जुलाई 2012

हर्ष फायरिंग और कानून

          खुशी के विभिन्न अवसरों पर की जाने वाली फायरिंग से एक बार फिर से बरेली (यूपी) में १० साल के महताब के परिवार को भारी पड़ी क्योंकि हाल में ही हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बाद विशारदगंज में शपथ ग्रहण समारोह के समय अध्यक्ष के अतिउत्साही समर्थकों ने जिस तरह से अपनी खुशी को प्रदर्शित किया वह महताब के लिए जानलेवा साबित हुई. देश में खुशी के विभिन्न अवसरों पर इस तरह की फायरिंग करने का चलन सा है जबकि कानून इस तरह से शस्त्र के किसी भी इस्तेमाल पर बहुत सख्त है फिर भी कहीं न कहीं से इस तरह की घटनाएँ सुनने में आती ही रहती हैं. अभी तक इस कानून के अनुपालन की ज़िम्मेदारी पुलिस पर है पर जिस तरह से विभिन्न स्थलों पर ऐसे समारोह होते ही रहते हैं या फिर शादी आदि के समय भी इस तरह से फायरिंग की जाती है तो उस स्थिति में पुलिस इसे कैसे रोक सकती है ? हम हर काम के लिए पुलिस को ही ज़िम्मेदार ठहराकर अपने को बचाने या सही साबित करने की कोशिश करते है जबकि इस तरह की घटनाओं को ज़िम्मेदार नागरिकों के रूप में हम खुद ही रोक सकते हैं.
      इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए समरह के आयोजक को ही ज़िम्मेदार बनाया जाना चाहिए और किसी भी शिकायत के मिलने पर उसके विरुद्ध ही कार्यवाही की जानी चाहिए क्योंकि किसी भी परिस्थिति में इसे तभी रोका जा सकता है जब इस घटना की ज़िम्मेदारी समारोह के आयोजक पर ही डाली जा सके. अभी तक गाँवों में खुशी के अवसर पर इस तरह से फायरिंग करने को प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है जिससे कई बार अप्रिय घटना भी घट जाती है. यदि कानून में संशोधन करके इस बात को सख्ती से अमल में लाया जा सके तभी इस तरह की घटनाओं को रोका कर असमय होने वाली मृत्युओं को रोका जा सकता है. अभी तक जिस तरह से फायरिंग को प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है इसे कानून के द्वारा ऐसा बना दिया जाये कि अनावश्यक रूप से समारोहों में फायरिंग करने से पहले लोग हज़ार बार सोचें. केवल कानून के सख्त होने से कुछ भी नहीं होने वाला है क्योंकि जब तक हम खुद आगे बढ़कर कानून को लागू नहीं करवाएगें तब तक कानून का अनुपालन कैसे होगा ?
     जिस लोगों के पास शस्त्र का लाइसेंस है उनको स्पष्ट रूप से यह बता देना चाहिए कि इस तरह की किसी भी फायरिग में शामिल पाए जाने पर उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा और उनके परिवार में किसी भी सदस्य को भविष्य में कोई लाइसेंस आवंटित नहीं किया जायेगा. अभी तक जिस तरह से केवल पुलिस पर इस बात की ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसे कामों को रोके तो इस स्थिति में पुलिस कर भी क्या सकती है ? कई बार यह सब ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति के यहाँ हो रहा होता है जिस पर किसी भी तरह की कार्यवाही कर पुलिस भी अपने लिए समस्याएं बढ़ाना नहीं चाहती है और जब यह सब खुले आम होता है तो आम लोगों के यहाँ भी इस तरह की घटनाएँ शुरू हो जाती है और उन पर नियंत्रण करना पुलिस के बस में नहीं रह जाता है. हम सभी को इस मामले में अपनी ज़िम्मेदारी को समझना चहिये जिससे आने वाले समय में इस तरह से होने वाली किसी भी दुर्घटना को रोका जा सके और कानून का अनुपालन न करने वालों पर सख्त कार्यवाही भी किये जाने का मार्ग खुल सके.      
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