मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 21 जुलाई 2012

सेवादार या मनोरोगी ?

         श्री अमरनाथ जी की वार्षिक यात्रा के दौरान जिस तरह से अभी तक देश के उत्तरी भाग के विभिन्न राज्यों के लोग मिलकर जिस तरह सहयोग की भावना के साथ पहलगाम और बालटाल में अपने स्तर से पूरी व्यवस्था किया करते हैं उसकी कोई अन्य मिसाल आसानी से नहीं ढूंढी जा सकती है. इतने दुर्गम स्थल पर भी जिस तरह से ये सेवा समितियां और सेवादार अभी तक अपने काम को अंजाम देते रहे हैं वह सेवा की अद्भुत मिसाल है पर इस बार की यात्रा में एक महिला द्वारा जिस तरह से यह आरोप लगाया गया कि एक समिति के बाथरूम में उसकी नहाते समय की मोबाइल से क्लिप बनायीं गयी है उसने सभी समितियों के काम काज अपर एक सवाल तो खड़ा ही कर दिया है. साथ ही इस बारे में भी सोचने को मजबूर कर दिया है कि जो लोग इतनी निस्वार्थ भावना के साथ पूरे महीने तक वहां पर रहकर अपने इस काम को अंजाम देते हैं आख़िर उनके बीच इस तरह के मनोरोगी किस तरह से पहुँच गए जिससे इतनी बड़ी घटना हुई ?
         इस बारे में कहीं न कहीं से समिति द्वारा चूक तो अवश्य ही हुई है वैसे समिति के लोग यह कहकर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश करेंगें कि आरोपियों से उनका कोई लेना देना नहीं है फिर भी यह मसला इतनी आसानी से निपटने वाला नहीं है क्योंकि अब महिला की शिकायत पर आरोपियों को पकड़ लिया गया है और उन्हें सजा दिलवाने के लिए पुलिस तत्पर दिख रही है ऐसे में समिति को पुलिस को सहयोग करने के अलावा कोई अन्य कदम उठाने पर पर विचार भी नहीं करना चाहिए पर जिस तरह से महिला पर यह आरोप भी लग रहा है कि उसने समिति से कुछ रुपयों की मांग की है उससे पूरे मामले की तह तक जाने की ज़रुरत है. अभी जब मामले की विवेचना चल रही है तो किसी भी निर्णय पर जल्दी नहीं पहुंचना चाहिए. कुछ भी है पर इस मामले में पुलिस को कुछ सुराग भी मिले हैं जो महिला के आरोपों की पुष्टि भी करते हैं. प्रारंभिक जांच में महिला की शिकायत में दम लग रहा है और समिति बचाव की मुद्रा में है फिर भी इस पूरे प्रकरण ने निस्वार्थ सेवादारों पर संदेह के बादल तो मंडरा ही दिए हैं.
      इस स्थिति में आख़िर किस तरह के कदम उठाये जाएँ जिससे महिलाओं की निजता भी बनी रहे क्योंकि धार्मिक आयोजनों पर धार्मिक भावना से ओतप्रोत होने के कारण कई बार महिलाएं इस बारे में थोड़ी सी लापरवाही बरत जाती हैं जो उनके लिए किसी तरह की समस्या खड़ी कर सकते हैं. भारतीय परंपरा में पवित्र नदियों और सरोवरों में पवित्र तिथियों पर नहाने की प्राचीन परंपरा है और आज भी महिलाएं पुरुषों के साथ देश के विभिन्न स्थानों पर नहाती हैं पर जिस तरह से उनकी इस स्थिति का बालटाल में इस्तेमाल किया उसने इस पूरी प्रकिया में सावधान होने की तरफ इशारा कर ही दिया है. अब किसी भी सेवा समिति के लिए यह अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए कि वह अपनी इस तरह की सभी परिस्थितयों पर पूरी तरह नियंत्रण रखने की व्यवस्था करेंगीं और किसी भी स्थिति में किसी भी नए व्यक्ति को इस तरह के सेवा शिविरों में नहीं आने देंगीं साथ ही महिलाओं के लिए पूरे सम्मान के साथ पूरी व्यवस्था करने की कोशिश भी करेंगीं. महिलाओं वाली जगह पर महिला सेवादारों की व्यवस्था की जाएगी जिससे महिलाओं के मन में सुरक्षा की भावना के साथ पूरा प्रवास करने का विश्वास भी जगे. 
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