मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 22 जुलाई 2012

मारुति और आर्थिक स्थिति

            देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी और वैश्विक सुजुकी मोटर की सहयोगी मारुति उद्योग लिमिटेड के मानेसर संयंत्र में जिस तरह से श्रमिकों द्वारा अराजकता फैलाई गयी और एक शीर्ष अधिकारी की हत्या समेत ९० से अधिक लोगों को गंभीर रूप से घायल किया गया उसकी सभ्य समाज में कोई जगह नहीं हो सकती है. अभी तक मारुति के मानव संसाधन को देश में मौजूद सभी औद्योगिक इकाइयों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है वहां पर इस तरह की घटना यही दिखाती है कि कहीं न कहीं कुछ ऐसा अवश्य है जो मारुति के साथ अन्य किसी को भी नहीं दिखाई दे रहा है ? अभी तक इस संयंत्र में जिस तरह से पिछले दो वर्षों में कई बार आंशिक तालाबंदी की घटना भी हुई अगर समय रहते उसके बारे में भी विचार किया जाता तो शायद इस तरह की इतनी बड़ी घटना नहीं होती ? किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है और अब जिस तरह से मारुति ने जांच पूरी होने तक कम्पनी में तालाबंदी की घोषणा कर दी है उससे भी यह संकट बढ़ने ही वाला है.
           श्रमिक संगठनों के कारण कई बार औद्योगिक इकाइयों में इस तरह की दबाव बनाने की राजनीति तो होती ही रहती है पर मारुति जिसे अपने कर्मचारियों के लिए संवेदनशील माना जाता है वहां पर इतनी बड़े स्तर पर कुछ लोगों द्वारा तांडव मचाया जाता रहे और सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रहे तो इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग़लत संदेश तो जाता है. मारुति के आलावा इस क्षेत्र में कई अन्य बड़ी कम्पनियां भी काम कर रही है जिन पर भी इस तरह के श्रमिकों के अराजक होने का असर पड़ सकता है. इस मामले में मारुति को हरियाणा सरकार का पूरा सहयोग मिलना चाहिए जिससे दोषियों को सज़ा दी जा सके क्योंकि इस घटना में किसी भी तरह की राजनीति आने वाले समय में हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में औद्योगिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल कर रख सकती है. सरकारी स्तर पर कानून के अनुपालन में कोई कमी नहीं रखी जानी चाहिए और किसी भी तरह के आर्थिक जगत से जुड़ी हुई गतिविधि को संचालित करने के लिए पूरा माहौल बना कर रखने की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकार पर ही है. साथ ही केंद्र सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और कड़ी कार्यवाही के लिए हरियाणा सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
          मारुति की तालाबंदी को इतनी सहजता से नहीं लिया जा सकता है क्योंकि आज देश के औद्योगिक विकास में वाहन क्षेत्र में यह कम्पनी रोज़ ही बहुत बड़े स्तर पर काम करती है. एक अनुमान के अनुसार केवल एक दिन के काम बंद होने से मारुति को लगभग ८० करोड़ रुपयों का नुकसान होता है और जब बात इसकी सहयोगी ३५० कम्पनियों की हो तो यह आंकड़े और भी बड़े हो जाते है. अकेले इस क्षेत्र में ही मारुति के लिए विभिन्न तरह के कलपुर्जे बनाने वाली इन कंपनियों में परोक्ष रूप से हजारों लोगों को रोज़गार मिला हुआ है और इस तरह की अराजकता किसी भी स्तर पर आम श्रमिक के हितों के विरुद्ध ही जाती है. कम्पनी ने पुनर्निर्माण होने और सुरक्षा की पूरी गारंटी मिलने तक तालाबंदी की घोषणा कर दी है इससे पहले से ही कराहते उद्योग जगत के लिए कितनी बड़ी समस्या होने वाली है यह अभी बता पाना मुश्किल है पर जितने बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है तो हो सकता है कि संयंत्र की मरम्मत का काम ही लम्बे समय तक चले और संयंत्र के ३००० श्रमिकों पर पुलिस के संदेह के कारण आख़िर में कम्पनी काम कैसे करवाएगी यह भी चिंता का विषय है. चाहे कुछ भी कुछ लोगों की इस तरह की लड़ाई एक बार फिर से आम श्रमिकों पर भारी पड़ेगी इतना तो सभी जानते हैं और जानकर भी अब कुछ कर पाने की स्थिति से आगे निकला जा चुका है फिर भी हरियाणा सरकार के कदम इस समस्या से जल्दी ही राहत दिलवा सकते हैं.    
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें