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मंगलवार, 7 अगस्त 2012

यूपी और बिजली सुधार

                     पिछले हफ्ते दो बार फ़ैल हुए ग्रिड ने जहाँ राज्यों को एक दूसरे पर ओवर ड्राल का आरोप लगाने का अवसर दिया वहीं दूसरी तरफ़ यह भी दिखा दिया कि अपनी मांग के अनुसार बिजली प्रबंधन में असफल रहने वाले राज्य किस बेशर्मी से अपनी बात को सबके सामने रखने की हिम्मत भी रखते हैं. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री वीरप्पा मोइली द्वारा इस समस्या पर विचार के लिए बुलाई गयी बैठक में जिस तरह से यूपी पर इस बात का आरोप लगा वह काफ़ी हद तक सही ही है क्योंकि अब जो कारण सामने आ रहे हैं उनके अनुसार गड़बड़ी की शुरुआत आगरा-ग्वालियर-भिंड लाईन के कारण हुई पर बात बात में कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखने वाले लोग अब यह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में आगरा की बिजली नहीं काटी गयी और ग्रिड फेल हो गया ? अपनी ज़िम्मेदारी से भागने और अपनी नाकामी दूसरों के सर फोड़ने में नेताओं को अब नौकरशाह भी मात देने लगे हैं. जब बिजली क्षेत्र में यूपी की हालत ऐसी हो गयी है कि वह पूरे देश पर इस तरह का बोझ बन गया है तो उसे स्वीकार कर लेने में क्या बुराई है आख़िर किन कारणों से प्रदेश के ऊर्जा सचिव और नेता आज भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं दिखाई देते हैं ?
             जिस प्रदेश में दुनिया के कई देशों से भी ज्यादा आबादी रहती है वहां पर बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने के लिए जब राजनैतिक तंत्र इतना झूठ बोल सकता है कि उसे पचाना ही मुश्किल हो जाये तो इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है. बिजली विभाग को जिस तरह से आईएएस अधिकारी चला रहे हैं उस पर भी विचार किये जाने की ज़रुरत है क्योंकि इस तरह के तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञों की राय अधिक महत्वपूर्ण होती है और केवल प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले इसे कर देने के जो भी दुष्परिणाम हो सकते हैं आज वह हमारे सामने हैं. बैठक में प्रदेश के ऊर्जा सचिव ने कोयले की आपूर्ति पर हर बात को डालने का प्रयास किया जो उनके इस क्षेत्र के ज्ञान को दर्शाता है ? उनका कहना है कि अगर समुचित मात्रा में कोयला मिले तो प्रदेश ११९०० मेगावाट बिजली बना सकता है और दूसरों को बेच भी सकता है वे यह खुलासा नहीं कर सके कि केवल कोयले के मिल जाने से कौन सा बिजलीघर पैदा हो जायेगा जो यह आपूर्ति एकदम से बढ़ा देगा ? ऊर्जा सचिव को तो प्रदेश की सही मांग का भी अंदाज़ा नहीं है क्योंकि प्रदेश की प्रतिबंधित ही लगभग १४००० मेगावाट हो चुकी है और अगर पूरे प्रदेश को २४ घंटे बिजली देनी है तो यह लगभग १९००० मेगावाट होती है ?
           अब इस तरह के आरोपों का समय निकल चुका है क्योंकि प्रदेश की पिछली सरकार जितना बकाया इस विभाग पर छोड़कर गयी है उसे न चुकता कर पाने के कारण ही प्रदेश को केंद्रीय सेक्टर से आवंटित पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है और रोज़ा तापीय बिजली संयंत्र में मुलायम के ख़ास अनिल अम्बानी ने भी अपने यहाँ पर विद्युत् उत्पादन को क्यों कम कर दिया है क्या इसका कारण भी कोयले की आपूति ही है ? मुलायम नेता है चाहे जो कहते रहें पर अनिल व्यवसायी हैं और कोई भी व्यवसायी अपने हितों पर चोट नहीं कर सकता इसीलिए बकाया भुगतान न होने के कारण भी रोज़ा से केवल ३०० मेगावाट बिजली ही प्रदेश को मिल रही है जबकि अब उसकी क्षमता १२०० मेगावाट तक पहुँच चुकी है. अच्छा हो कि प्रदेश सरकार और बिजली विभाग इस तरह का रोना बंद करे और बिजली की आपूर्ति सुधारने के लिए तेज़ी से प्रयास करे जिससे टीएंडडी लॉस के नाम पर की जा रही बिजली की चोरी बंद की जा सके ? जिस तरह से बिजली विभाग में एक समानांतर आर्थिक भ्रष्टाचार चल रहा है उस पर काबू लाये बिना किसी भी तरह से प्रदेश को अँधेरे से मुक्ति नहीं दिलाई जा सकती है और आने वाले समय में यह कैसे होगा किसी को नहीं मालूम ? प्रदेश में आर्थिक तंगी का रोना रोने वाली अखिलेश सरकार भी हिम्मत दिखाकर बिजली विभाग को सुधारने से ज्यादा दिलचस्पी बिजली से ही चलने वाले टेबलेट और लैपटॉप बांटने की तैयारी में है.
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