मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 8 अगस्त 2012

अमेरिका और नस्ली हिंसा

                 अमेरिका में एक गुरूद्वारे में जिस तरह से एक व्यक्ति ने गोलीबारी करके ६ लोगों की हत्या कर दी उससे यही पता चलता है कि अपने को सभ्य समाज कहलाने वाले अमेरिका में आज भी नस्लीय मानसिकता के प्रभावित लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. जिस तरह से गुरूद्वारे में अंधाधुंध गोलीबारी की गयी उससे उस व्यक्ति की मानसिकता का भी पता चलता है जो निहत्थे लोगों पर इतनी बर्बरता से गोली चला सकता था क्योंकि उसने इस बात पर भी विचार नहीं किया कि इन लोगों ने उसके या उसके देश के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं किया है ? इससे पहले कोलराडो में भी एक फिल्म शो के दौरान हुई गोलीबारी में १२ लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद मिसौरी में एक मस्जिद में भी आग़ लगाने की घटना हुई है हालाँकि उसमें कोई हताहत नहीं हुआ है फिर भी यह सारी घटनाएँ तेज़ी से बदलती और हताशा की तरफ बढ़ती हुए अमेरिकी समाज की तरफ इशारा तो करती ही हैं. अमेरिका अपने को लाख कहे कि वह मानवाधिकारों की रक्षा करता है पर वहां पर होने वाली इस तरह की घटनाएँ कहीं न कहीं से उसके समाज की हताशा को ही दिखाती हैं.
       आख़िर ऐसा क्या है जो अमेरिका में इस तरह की घटनाएँ दोहराने में निर्णायक भूमिका निभाता है इस बात पर विचार किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि अमेरिका में इस्लाम के अनुयायियों के ख़िलाफ़ २६/११ के बाद से ही प्रदर्शन और नस्ली हिंसा होती रही है पर जिस तरह से पहचान में अंतर न कर पाने के कारण सिख समुदाय भी अमेरिकियों के निशाने पर रहता है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. इस मसले में जिस तेज़ी के साथ ओबामा ने पहल की उसकी ज़रुरत थी पर केवल ऐसी किसी घटना के हो जाने पर यह तेज़ी किसी काम की नहीं होती है. यह देखकर आश्चर्य होता है कि आज भी अमेरिका में ऐसे लोग रहते हैं जिन्हें मुसलमानों और सिखों में क्या अंतर है यह भी नहीं पता है ? हालाँकि सिखों ने अमेरिका में अपनी पहचान को स्पष्ट करने के लिए पूरे प्रयास किये हैं फिर भी इस तरह की घटनाओं में लोगों पर हमले हो रहे हैं. जब विद्वेष की आग़ भड़क जाती है तो सही गलत में विभेद कर पाने की शक्ति ख़त्म ही जाती है जिससे इस तरह की घटनाओं को पनपने का अवसर मिलता है.
     आज आवश्यकता इस बात की है कि अमेरिका अपने नागरिकों पर कड़ी नज़र रखे और किसी भी तरह से मानसिक या नस्ली उन्माद का समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस के संज्ञान में लाने का काम करे. दुनिया भर पर नज़र रखे का दावा करने वाला अमेरिका इस बात से पल्ला नहीं झाड़ सकता है कि उसके नागरिकों में यह प्रवृत्ति कैसे पनप रही है ? जिस तरह से अमेरिका के लोगों को यह बताया जाता है कि वे दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ हैं तो उस स्थिति में उनके लिए यह बात हज़म करना मुश्किल भी होता है कि किसी अन्य द्वारा उनको चुनौती दी जा रही है ? इस तरह की नस्ली हिंसा आज के समय में सबसे अधिक अरब देशों में ही दिखाई दे रही है और शायद उसका कारण पूरे समुदाय में सहिष्णुता की कमी है और अब या रोग अमेरिकियों में भी लगता जा रहा है. अब समय है कि पूरी मानव जाति इस बात पर आत्ममंथन करे कि किस तरह से इन घटनाओं को रोका जाये ? पूरी दुनिया में इस तरह की मानसिकता हमेशा से ही रही है पर इससे लड़ने की जो इच्छा शक्ति आज हमारे में होनी चाहिए वह दिखाई नहीं देती है.  
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें