मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

क्रिकेट और रिश्ते

           भारत और पाक के बीच एक बार फिर से रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिशों के तहत दिसंबर जनवरी में कई वर्षों से स्थगित पड़ी क्रिकेट श्रंखला को फिर से शुरू करने के सरकारी फ़ैसले के बाद देश के सामने एक बार फिर से वही सवाल उठा खड़ा हुआ है कि आख़िर क्रिकेट से इन चौड़े होते रिश्तों को किस तरह से पाटा जा सकता है ? अभी तक पाक ने हर बार भारत के साथ जिस तरह से दोहरा व्यवहार किया है उसके बाद यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि इस बार पाक अपनी आतंकियों को समर्थन देने की नीति से किसी भी स्तर पर समझौता करने जा रहा है क्योंकि पाक में जिस तरह से भारत का विरोध करने वाले तत्व हमेशा ही सक्रिय रहा करते हैं उस स्थिति में पाक और कुछ कर भी नहीं सकता है क्योंकि पाक में चरम पंथियों की पूरी जमात के साथ सेना कभी भी भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य देखना ही नहीं चाहती है और विभिन्न कारणों से नेता भी कमोबेश इसी नीति का पालन करते हुए नज़र आते हैं.
   यह सही है कि खेल देशों के बीच पनप रही दुश्मनी को बहुत बार ख़त्म करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं पर पाक के मामले में वह हमेशा से ही अपने अनुसार इस सभी रिश्तों को चलने में विश्वास करता है और आगे आने वाले समय में भी ऐसा कुछ नहीं लगता है कि पाक कहीं से भारत के साथ खेल से आगे के रिश्ते भी सामान्य करना चाहता है ? भारत को भी पाक के साथ अब अपना रवैया बदलना ही होगा क्योंकि आख़िर कब तक पाक के हिसाब से ही सब कुछ चलता रहेगा ? अब भारत को भी पाक की क्रिकेट मजबूरियों का लाभ अपने हितों में इस्तेमाल करने की नीति पर ही चलना होगा क्योंकि भारत के साथ क्रिकेट शुरू हो जाने पर आने वाले समय में अन्य देश भी पाक में जाकर खेना शुरू कर देंगें जिससे पाक क्रिकेट बोर्ड की सेहत तो सुधर जाएगी पर भारतीय हितों को होने वाला नुकसान कभी भी नहीं रुक पायेगा ?
     इस बार जिस माहौल में यह श्रंखला खेली जाएगी तो उसके लिए किसी भी पाकिस्तानी को किसी भी तरह से भारत यात्रा की अनुमति भी नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि पिछली बार इसी क्रिकेट के बहाने भारत में जिस तरह से आतंकियों ने अपने लोगों को भेजा हमारी सुरक्षा एजेंसियां आज तक उन गायब हुए पाकिस्तानियों को खोज ही रही हैं. जब तक पाक अपनी इन हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है तब तक उसके साथ संबंधों की एक तरफ़ा बहाली का कोई मतलब नहीं बनता है. इस बार भारत सरकार की तरफ से भारत और पाक के क्रिकेट बोर्डों को भी यह साफ कर दिया जाना चाहिए कि आने वाले समय में पाक की तरफ़ से किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि होने पर भारत हमेशा के लिए ही पाक से अपने खेल संबन्ध तोड़ लेगा. फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए जब हम बहुत बार इसराइल के साथ टेनिस में नहीं खेले थे तो अब तो यह सीधे हमसे ही जुड़ा हुआ मामला है और अब कड़ी नीति अपनाये बिना काम नहीं चलने वाला है. 
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