मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

बब्बर खालसा फिर से ?

               लन्दन में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ पर हुए हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात की चेतावनी जारी की है कि खालिस्तान समर्थक कुछ कट्टरपंथियों को पाक एक बार फिर से अपने संगठन को खड़ा करने के लिए पूरी सहायता मुहैय्या करा रहा है. जिस तरह से अभी तक इस तरह के कुछ कट्टपंथी संगठन के केवल पश्चिमी देशों में ही सक्रिय रहे हैं और वहां बसे सिख समुदाय को बहकाने का काम करने में लगे हुए हैं उससे यही लगता है कि पाक ने जम्मू कश्मीर में अपनी आतंकी गतिविधियों पर भारत द्वारा सख्ती से नियंत्रण करने के बाद एक बार फिर से विदेशों में बसे सिख नवयुवकों को भड़काने का काम करना शुरू कर दिया है. यह सही है कि उन देशों में अड्डा जमाये हुए इन आतंकी संगठनों के पास अब भारत में करने के लिए कुछ शेष नहीं बचा है और आज के समय सिख समुदाय पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा है ऐसे में इन देशों में रहने वाले और उनके यहाँ भारत से आने जाने वाले रिश्तेदारों के युवा बच्चों को १९८४ के आपरेशन ब्लू स्टार की भ्रामक छवियाँ दिखाकर भटकाने का प्रयास किया जा रहा है.
         भारत को इस मसले को राजनयिक स्तर पर भी निपटना चाहिए क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आख़िर इस तरह के तत्वों को कब तक छूट दी जा सकती है ? साथ ही पंजाब में सरकार को ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर पूरा ध्यान रखना चाहिए जो आने वाले समय में इस तरह की कट्टरवादी विचारधारा का पोषण कर सकती है. आज पंजाब फिर से शांत और खुशहाली के रास्ते पर है और वहां पर पूरी तरह से विकास और राजनैतिक गतिविधियाँ चल रही हैं पर किसी भी तरह से किसी को भी १९८० का वह दौर नहीं आने देना चाहिए क्योंकि उस समय के राजनैतिक तंत्र ने अपने हित लाभ के लिए धार्मिक समूहों का जिस तरह से इस्तेमाल किया उसके बाद ही वहां पर स्थिति इतनी विस्फोटक हो गयी थी. वैसे तब और आज के हालत में बहुत अंतर आ चुका है आज सिख भारत की शान बने हुए हैं और कम से कम भारत में आम लोग उस दुखद समय को भूल चुके हैं हालांकि अभी भी बहुत से दोषियों को सज़ा नहीं मिल पाई है पर आज भी उन लोगों को दोषमुक्त भी नहीं किया जा सका है.
      देश ने जिस तरह से पिछले २ दशकों में तरक्की की है वह उल्लेखनीय है और शिक्षा का प्रसार बढ़ने से अब लोगों में धार्मिक कट्टरता की जगह धार्मिक सहिष्णुता बढ़ी है. पहले भी आम सिख खालिस्तान का समर्थक नहीं रहा था पर आतंकियों और सुरक्षा बलों के दोहरे दबाव में उसके लिए जीना बहुत मुश्किल हो गया था जिस कारण से भी वह अपना वजूद बनाये रखने के लिए समय के हिसाब से काम करने को मजबूर था जिससे सभी को शंका की दृष्टि से देखा जाने लगा था. विदेशों में भारतीय विदेश मंत्रालय और पंजाब सरकार के साथ ही सिखों के धार्मिक समूहों की मदद लेकर भारत की आज की छवि को युवा सिखों के सामने रखने की कोशिश होनी चाहिए जिससे उन्हें पाक और आतंकियों के इस दुष्प्रचार से बचाया जा सके. भारत सरकार को यह मानकर नहीं बैठ जाना चाहिए कि देश में अब ठीक है क्योंकि पाक अपनी हरकतों से कभी भी बाज़ नहीं आ सकता है और इस कारण से उसके भारत के खिलाफ चलाये जाने वाली इस अभियान को कोई रोकने वाला भी नहीं है. इसका एक मात्र यही उपाय है कि भारत अपनी सही छवि को दुनिया के सामने रखे का काम खुद ही शुरू कर दे.   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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