मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

गैस डीलर पोर्टिबिलिटी

                           सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडरों की संख्या ६ तक सीमित किये जाने के बाद से जिस तरह से नए कानून का बहाना लेकर गैस एजेंसियों द्वारा पूरे देश में ग्राहकों को परेशान किये जाने के मामले सामने आये हैं और उन्हें बाज़ार मूल्य पर भी सिलेंडर देने से कुछ कम्पनियों द्वारा मना किया जा रहा है उससे यही लगता है कि अभी ग्राहकों की परेशानी कुछ कम नहीं होने वाली है. अच्छा ही हुआ कि इस मामले को प्राथमिकता में लेने के कारण सरकार अब इस प्रक्रिया को आसान करने के लिए तैयार हो गयी है कि यदि कोई ग्राहक अपने डीलर से संतुष्ट नहीं है तो वह किसी भी कम्पनी के अन्य डीलर के यहाँ अपना कनेक्शन पोर्ट करवा सकता है. ज़ाहिर है कि इस बात से डीलरों पर सही काम करने का दबाव बनने वाला है क्योंकि अभी तक जिस तरह से डीलर अपनी मनमानी किया करते हैं उस पर कुछ लगाम तो लग ही जाएगी. देश में विपणन का काम आज भी इतना भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है कि आज भी हर क्षेत्र में आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और सरकारी नियंत्रण वाले क्षेत्रों की दशा तो और भी ख़राब होती चली जा रही है. जब भी कोई नया नियम बनाया जाता है भ्रष्टाचारी लोग अपने हितों को संरक्षित करने के लिए कुछ न कुछ अवश्य ही कर लेते हैं.
          डीलर पोर्टिबिलिटी का सही लाभ उपभोक्ताओं को तभी मिल सकेगा जब इसके लिए पूरी तरह से इन्टरनेट आधारित कोई व्यवस्था बनाई जाये क्योंकि आज के समय में डीलरों ने जिस तरह से कम्पनियों के अधिकारियों को अपनी गिरफ्त में ले रखा है उस परिस्थिति में आम लोगों की शिकायतों पर पूरी तरह से ध्यान ही नहीं दिया जाता है. कुछ बातें जो कानूनी तौर पर अपनाई जानी चाहिए आज कोई भी डीलर उन्हें नहीं पूरा करता है और उपभोक्ता भी हड़बड़ी में होने के कारण अधिक मूल्य चुका कर अपना काम निकालने के फेर में रहता है. कानूनों का सही प्रचार प्रसार होना चाहिए और सभी डीलरों के लिए यह आवश्यक किया जाना चाहिए कि किसी भी नियम परिवर्तन की सूचना सही ढंग से अपने ग्राहकों को देने का काम करें और इसमें विफल रहने पर डीलरों पर कुछ आर्थिक दंड भी लगाया जाना चाहिए. सरकार की तरफ से स्पष्ट दिशा निर्देश हैं कि खुले बाज़ार के रेट पर किसी भी ग्राहक को कभी भी सिलेंडर देने से कोई भी कम्पनी मना नहीं कर सकती है फिर भी लोगों को कहीं कहीं पर परेशान किया जा रहा है.
               जब तक ग्राहक अपने पूरे प्रपत्र कम्पनी के पास जमा नहीं कराता है तब तक उसे गैस देने से मना नहीं किया जा सकता है हाँ इतना अवश्य कहा गया है कि उसे खुले बाज़ार के रेट पर सिलेंडर अविलम्ब उपलब्ध कराया जाये. जब ग्राहक द्वारा पूरी तरह से जांच में सहयोग कर दिया जायेगा तब उसे सब्सिडी वाले सिलेंडरों की आपूर्ति की जाएगी वर्ना उसे बाज़ार के रेट पर ही गैस खरीदनी होगी. देश में स्वच्छ ईंधन के रूप में सीएनजी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इसके विपणन के नेटवर्क को तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए चरणबद्ध तरीके से काम करने चाहिए क्योंकि जब गैस चालित गाड़ियों को अपने निकट ही गैस मिलने लगेगी तो वे एलपीजी का दुरूपयोग अपनी गाड़ियों को चलाने में नहीं करेंगें और जो कृत्रिम किल्लत बन जाया करती है उस पर भी रोक लग जाएगी. आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से जिन जिलों में गैस आपूर्ति की सही व्यवस्था नहीं है वहां पर इसे पहुंचाने का काम किया जाना आवश्यक है जिससे उपभोक्ताओं के लिए सही विकल्प उपलब्ध हो सके और गैस डीलरों के लिए भी भ्रष्टाचार और लाभ का सौदा होने के स्थान पर गैस वितरित करने में धांधली करने के अवसर कम हो जाएँ. इस तरह की किसी भी व्यवस्था में परिवर्तन के लिए सबसे पहले उसकी तैयारी करने की आवश्यकता होती है जबकि देश में दिल्ली से नियमों की घोषणा कर दी जाती है और उसके दिशा निर्देशों के बारे में किसी को पता भी नहीं होता है. फिर भी इस पोर्टिबिलिटी की व्यवस्था शुरू होने से कुछ हद तक दबाव अब गैस डीलरों अपर जाने ही वाला है जो उपभोक्ताओं को लम्बे समय में राहत देने वाला हो सकता है.   
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2 टिप्‍पणियां:

  1. आशा करते हैं कि जल्द से जल्द लागू हो ये भी

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  2. डीलर कोई भी हो वह छुट्टा सॉंड होता है, जि‍सके नथुने में नकेल कि‍सी के बस की नहीं

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