मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

अब २ जी पर क्या जी ?

               एक समय देश में सबसे बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले के रूप में मीडिया और राजनैतिक दलों द्वारा प्रचारित किये गए २जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कोर्ट के आदेश के बाद रद्द और खाली हुए बैंड की नीलामी की प्रक्रिया में जिस तरह से सरकार को आशा के अनुरूप राजस्व नहीं मिला उसने एक बार फिर से भारीय राजनैतिक तंत्र के खोखले स्वरुप को ही दर्शा दिया है. इससे यही पता चलता है कि हमारे राजनेता पूरी तरह से अनुभव हीन हैं और उनमें से जो भी व्यापार की समझ रखते हैं उनके लिए भी देश के हितों से पहले उनकी राजनैतिक निर्भरता अधिक महत्वपूर्ण है. कैग ने एक अनुमान लगाया था कि यदि प्रतिस्पर्धा वाले माहौल में इस बैंड की नीलामी की जाती तो उससे १.७६ लाख करोड़ रूपये के राजस्व को हासिल किया जा सकता था पर देश में टेलीडेंसिटी बढ़ाने के लिए ही पिछले बहुत सारे वर्षों से पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत आवंटन किया जा रहा था जिससे जिन लोगों ने निर्धारित धनराशि का भुगतान किया उन्हें इस क्षेत्र में व्यापार करने के अवसर मिल गए. आज जिस तरह से धीरे धीरे सभी मोबाइल कम्पनियां कॉल दरों को बढाती जा रही हैं वे इस नए राजस्व ढांचे के बाद क्या पुराने रेट पर ही सेवाएं देती रहेंगीं अब यही प्रश्न महत्वपूर्ण है ? व्यापार करने केलिए बाज़ार में आने वाली कम्पनियां केवल उपभोक्ताओं की बात तभी तक करती हैं जब तक उन्हें ग्राहक बटोरने हैं और जब इस क्षेत्र में विकास की संभावनाएं समाप्त हो जायेंगीं तो ये इसी से अपने पूरे खर्चे को निकालने के लिए कॉल दरों को बढ़ाने में नहीं चूकने वाली हैं.
                 देश को बहुत सारे आधारभूत क्षेत्रों में वास्तविक रूप में निजी क्षेत्र के सहयोग की आवश्यकता है क्योंकि देश की राजनीति आज भी गरीबों को सहायता देने के नाम पर लूट बढ़ाने वाली आर्थिक घोषणाएं करने से नहीं चूकती हैं और वैश्विक मंदी के कारण सरकार के राजस्व में कमी आने के कारण उसके पास पहले से ही चलायी जा रही योजनाओं के लिए धन की कमी हो रही है. ऐसे में व्यापार से जुड़े मसलों को इतनी अधिक राजनैतिक समझ चाहिए जो अभी हमारे नेता दिखा ही नहीं पाते हैं जिसका असर विभिन्न तरह के आरोपों प्रत्यारोपों के रूप में सरकार के काम काज पर दिखाई देने लगता है. देश को आज भी दीर्घकालीन नीतियों की आवश्यकता है जिन पर चलकर ही देश के समग्र विकास की बात सोची जा सकती है क्योंकि सरकारें बदलने से पार्टियों की आवश्यकताएं और प्राथमिकतायें बदल सकती हैं पर देश की प्राथमिकतायें तो वही रहती हैं पर अपने अपने चश्मे से देश को देखने वाले राजनैतिक दलों को कोई ऐसे मुद्दे दिखाई ही नहीं देते हैं जिन पर संसद के अन्दर और बाहर कोई सार्थक समन्वय किया जा सके ? देश को अब अपने लिए सार्थक और प्रभावी नीतियां बनाने की आवश्यकता है पर आज भी जिनके हाथों में देश के लिए फ़ैसले लेने के अधिकार जनता द्वारा दिए जाते हैं उनमें से अधिकांश लोग तो केवल अपनी धौंस ज़माने के लिए ही इन पदों पर सुशोभित होते रहते हैं और अपनी ज़िम्मेदारियों को समझने के स्थान पर सत्ता पक्ष अपनी मनमानी और विपक्ष केवल विरोध ही किया करता है.
               अब स्पेट्रम नीलामी में जिस तरह से कम्पनियों ने रूचि नहीं दिखाई और जिस तरह से एक निर्धारित मूल्य पर ही इसे खरीदने का प्रयास किया उससे मोबाईल कम्पनियों की आपसी समझ के बारे में समझा जा सकता है. आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को मंहगी कॉल दरों के लिए तैयार होना ही पड़ेगा क्योंकि जिस तरह से कोर्ट केस और अनिश्चितता के कारण भारत संचार निगम लिमिटेड धीरे धीरे दम तोड़ रहा है आने वाले समय में इस क्षेत्र में पूरी तरह से निजी क्षेत्र का दबदबा होने वाला है और तब कोई भी सरकार चाहकर भी इस उद्योग को हाथ नहीं लगा पायेगी क्योंकि भले ही ये सभी अलग अलग व्यापारिक घरानों से संचालित किये जा रहे हैं पर व्यापारिक सोच और समझ सभी के पास एक जैसी ही है तो वे अपनी तरफ़ से अधिक राजस्व चुका कर किसी भी तरह से अपने आर्थिक हितों पर चोट क्यों करना चाहेंगें ? इस पूरे प्रकरण के कारन देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए व्यापारिक समझौतों में जो किरकिरी हुई है उसके बारे में कोई नहीं बोल रहा है. देश के राजनैतिक तंत्र को अब यह ठीक तरह से समझना ही होगा कि व्यापारिक मसलों में इस तरह से पेंच फंसाने से कुछ सुर्खियाँ तो बटोरी जा सकती हैं पर देश का भला नहीं किया जा सकता है. राजनैतिक विरोध अपनी जगह पर पूरी तरह सही है पर उसके पीछे छिपकर देश के विकास को बाधित करने के लिए क्या इन लोगों पर मुक़दमा नहीं चलाया जाना चाहिए ?   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. 2G स्पेक्ट्रम को जिस तरह बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा था, जिस तरह से 2G स्पेक्ट्रम पर विपक्ष के द्वारा बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा था, आज सच्चाई सामने आने के बाद क्या पुरे विपक्ष और खास तौर पर भारतीय जनता पार्टी को देश से माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए।

    भाजपा को 2G स्पेक्ट्रम पर संसंद ना चलने देने और देश को इससे हुए नुक्सान के लिए भी देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।

    क्या कैग का 2G घौटाले का आरोप राजनीति से प्रेरित नहीं था?

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